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विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस: ‘पत्रकारिता बिना डर या एहसान के’

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विश्व भर में 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। यह दिन हर वर्ष प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। साथ ही यह दिन दुनियाभर की सरकारों को 1948 के मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करने और उसे बनाए रखने के लिए अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है।

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है। विश्व स्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया, जिसे विश्व प्रेस दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

यूनेस्को महासम्मेलन की अनुशंसा के बाद दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मई को प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की थी। तभी से हर साल 3 मई को ये दिन मनाया जाता है। हर वर्ष यह दिन किसी थीम पर आधारित होता है। इस बार ‘पत्रकारिता बिना डर या एहसान के’ नामक थीम पर आधारित है।

क्यों मनाया जाता है ये दिन?
इस दिवस का उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। साथ ही ये दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात करता है। प्रेस की आजादी के महत्व के लिए दुनिया को आगाह करने वाला ये दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है। इस कारण सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए।

पहली बार कब मनाया गया ये दिन?
अफ्रीका के पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए साल 1991 में पहल की थी। उन पत्रकारों ने 3 मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों से संबंधित एक बयान जारी किया था, जिसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक के नाम से जाना जाता है। जिसके बाद पहली बार 1993 को संयुक्त राष्ट्र ने ये दिवस मनाने की घोषणा की।

मनाने की वजह और भी
दुनियाभर में पत्रकारों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी, भारतीय पत्रकार गौरी लंकेश और उत्तरी आयरलैंड की पत्रकार लायरा मक्की की हत्याओं ने एक बार फिर प्रेस की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

दुनियाभर में पत्रकारों और प्रेस को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। अगर कोई मीडिया संस्थान सरकार की मर्जी से नहीं चलता तो उसे तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है। मीडिया संगठनों को बंद करने तक के लिए मजबूर किया जाता है।

पत्रकारों के साथ मारपीट की जाती है और उन्हें धमकियां तक दी जाती हैं। यही ऐसी चीजें हैं जो अभिव्यक्ति की आजादी में बाधाएं हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ये दिन मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है ये दिन?
यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज दिया जाता है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्थान को दिया जाता है, जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो।

साथ ही स्कूल, कॉलेज, सरकारी संस्थानों और अन्य शैक्षिक संस्थानों में प्रेस की आजादी पर वाद-विवाद, निबंध लेखन प्रतियोगिता और क्विज का आयोजन होता है। लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार से अवगत कराया जाता है।

 

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