Thu. May 2nd, 2024

सेंसेक्स 1,942 अंक नीचे लुढ़का, आया भूचाल, निवेशकों के साढ़े छै लाख डूबे

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वैश्विक बाजारों में मंदी के रुख के बीच कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट और कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ना शेयर बाजार के लिए करेला पर नीम चढ़ा साबित हुआ। इस दबाव के कारण बाजार में साढ़े चार साल में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स में 1,942 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, निफ्टी 538 अंक फिसल गया। सेंसेक्स के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है।

मुंबई। दुनियाभर में जानलेवा कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ने की आशंका तथा कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से कारोबार के दौरान बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली तथा देश के पांचवें सबसे बड़े बैंक यस बैंक पर छाये संकट की वजह से अर्थव्यवस्था की स्थिरता पर आंशका का भी शेयर बाजार पर असर पड़ा। लेकिन सोमवार को बाजार में हुई बड़ी गिरावट का कारण क्या कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट रही? कच्चे तेल की कीमतों में कमी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है, फिर निवेशक क्यों उलझन में हैं?

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से कारोबार के दौरान बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली तथा देश के पांचवें सबसे बड़े बैंक यस बैंक पर छाये संकट की वजह से अर्थव्यवस्था की स्थिरता पर आंशका का भी शेयर बाजार पर असर पड़ा। लेकिन सोमवार को बाजार में हुई बड़ी गिरावट का कारण क्या कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट रही? कच्चे तेल की कीमतों में कमी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है, फिर निवेशक क्यों उलझन में हैं?

कोरोना का आतंक
दुनियाभर में जानलेवा कोरोना वायरस के प्रकोप से होने वाले आर्थिक नुकसान को लेकर निवेशक बेहद आतंकित हैं। विश्व में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1.07 लाख पार कर चुकी है। इटली में पिछले 24 घंटों के भीतर मृतकों की संख्या 130 से बढ़कर 366 पर पहुंच चुकी है। देश के कई हिस्सों को लॉकडाउन कर दिया गया है और लगभग 1.6 करोड़ लोगों पर निगाह रखी जा रही है। उधर अमेरिका में दो और लोगों ने कोरोना से दम तोड़ दिया, जिसके साथ ही इस देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़कर 19 हो चुकी है। विभिन्न आर्थिक विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक, कोरोना वायरस की वजह से 2.4 लाख करोड़ डॉलर तक का नुकसान हो चुका है।

वित्तीय स्थिरता का संकट
ट्रेडर्स का कहना है कि यस बैंक संकट की वजह से देश की बैंकिंग व्यवस्था की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं, जिससे शेयर बाजार के निवेशकों की नींद उड़ गई है। अधिकतर वित्तीय कंपनियों ने यस बैंक में निवेश कर रखा है। यस बैंक की रेटिंग डाउनग्रेड की जा चुकी है। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा बैंक के 52,612 करोड़ रुपये कीमत के बॉन्ड को डाउनग्रेड कर चुकी है। यस बैंक 5 मार्च को बेसल 2 टियर-1 बॉन्ड्स के भुगतान में पहले ही डिफॉल्ट कर चुका है। इक्रा को आशंका है कि अगर बैंक पर लगी पाबंदियां नहीं हटाई गईं तो बैंक आने वाले बेसल2 लोअर-2 बॉन्ड्स के भुगतान को भी डिफॉल्ट कर सकता है।

विदेशी निवेशकों का पलायन
विदेशी संस्थागत निवेशकों के धुआंधार बिकवाली से शेयर बाजार की चिंता बढ़ गई है। अकॉर्ड फिनटेक के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 15 सत्रों में एफपीआई ने बाजार से 21,937 करोड़ रुपये की निकासी की है। 24 फरवरी के बाद हर दिन एफपीआई नेट सेलर्स रहे हैं।

विश्व बाजार में झटके
दुनियाभर के अधिकतर बाजार इस वक्त लाल निशान पर कारोबार कर रहे हैं, जिससे घरेलू बाजार को झटके का सामना करना पड़ रहा है। जापान के निक्केई में 5.2फीसदी, ऑस्ट्रेलिया शेयर बाजार में 6.4 फीसदी की गिरावट देखी गई। एमएससीआई के पेसिफिक इंडेक्स में 3.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जो 2015 के बाद इसका सबसे बद्तर प्रदर्शन है। वहीं, शंघाई ब्लू चिप में 2.8 फीसदी की गिरावट आई है।

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