Wed. May 1st, 2024

अमित शाह के स्तीफे की मांग पर लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ

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  • कांग्रेस सांसद राम्या और बीजेपी सांसद जसकौर मीणा के बीच धक्का मुक्की, मारपीट का आरोप, लोकसभा अध्यक्ष से शिकायत
  • लोकसभा में विपक्ष के सदस्यों ने दिल्ली में हुई हिंसा के मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए भारी हंगामा किया। सदन में हंगामे के दौरान कांग्रेस और बीजेपी सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हुई।

नई दिल्ली। अमित शाह के इस्तीफे की मांग पर सोमवार को लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान कांग्रेस और बीजेपी सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। कांग्रेस सांसद राम्या हरिदास ने बीजेपी सांसद जसकौर मीणा पर मारपीट का आरोप लगाया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने पूछा कि क्या दलित महिला होने की वजह से उनके साथ ऐसा बार-बार होता है? दूसरी तरफ जसकौर मीणा ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि वह भी दलित महिला हैं।

बिरला के सामने की गई लिखित शिकायत में राम्या ने कहा, ‘दो मार्च को दोपहर 3 बजे लोकसभा में बीजेपी सदस्य जसकौर मीणा ने मेरे साथ मारपीट की।’ उन्होंने सवाल किया, ‘क्या मेरे साथ ऐसा बार-बार इसलिए होता है क्योंकि मैं एक दलित और महिला हूं?’ राम्या ने कहा कि बीजेपी सांसद के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
जसकौर मीणा की सफाई
बीजेपी सांसद जसकौर मीणा ने कहा, ‘आरोप झूठे हैं। उन्होंने लोकसभा में बैनर खोला तो मेरे सिर पर लगा। मैंने उन्हें आगे बढ़ने को कहा। मैंने उन्हें धक्का नहीं दिया। यदि वह दलित शब्द का इस्तेमाल कर रही हैं तो मैं भी एक दलित महिला हूं।’

दो बार लोस की कार्यवाही स्थगित हुई
दिल्ली में पिछले दिनों हुई हिंसा के मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष के सदस्यों ने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए भारी हंगामा किया और इस दौरान कांग्रेस और बीजेपी सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।

दुखी हुए लोस अध्यक्ष कहा, ऐसे नहीं चलाना चाहता सदन
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस घटनाक्रम पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, ‘हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि सदन की मर्यादा को बनाये रखा जाए। जो कुछ भी आज सदन में हुआ, उससे मैं व्यक्तिगत रूप से काफी दुखी हूं। मैं ऐसी परिस्थिति में सदन नहीं संचालित करना चाहता।’ उन्होंने कहा कि सदन सभी का है, वरिष्ठ सदस्य सहित सभी विचार कर लें कि सदन की एक मर्यादा बन जाए और सदन ठीक से चले। मैं चाहूंगा कि सदन जब ठीक से चले तभी चलाया जाए।

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