प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट की आशंका
1 min readमुंबई। देश के कॉरपोरेट और आय कर संग्रह में चालू वित्त वर्ष में गिरावट आ सकती है जो करीब दो दशक में पहली गिरावट होगी। आर्थिक विकास दर में तेज गिरावट और कॉरपोरेट कर दरों में कटौती के बीच कई वरिष्ठ अधिकारियों ने रॉयटर्स से बातचीत में यह आशंका जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस वित्त वर्ष के दौरान 13.5 लाख करोड़ प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य निर्धारित किया था जो पिछले वित्त वर्ष से 17 फीसदी अधिक है। लेकिन मांग में तेज गिरावट के कारण कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई है जिससे उन्हें निवेश और रोजगार में कटौती करनी पड़ी है। इससे कर संग्रह प्रभावित हुआ है और सरकार ने इस वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर 5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है जो 11 साल में सबसे कम है।
एक वरिष्ठ कर अधिकारी ने कहा कि 23 जनवरी तक कर विभाग केवल 7.3 लाख करोड़ रुपये ही जुटा पाया जो पिछले साल की समान अवधि से करीब 5.5 फीसदी कम है। रॉयटर्स ने इस बारे में आठ वरिष्ठ कर अधिकारियों से बात की। उनका कहना है कि उनके पूरे प्रयासों के बावजूद इस बार प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछली बार के 11.5 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से भी कम रह सकता है। एक कर अधिकारी ने नई दिल्ली में कहा, ‘लक्ष्य को छोडि़ए। यह पहला मौका होगा जब प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट आएगी।’ उनका अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले साल की तुलना में करीब 10 फीसदी कम रह सकता है।
भारत में आर्थिक सुस्ती अस्थायी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने शुक्रवार को कहा कि भारत में आर्थिक सुस्ती अस्थायी है और उन्हें आने वाले समय में इसमें सुधार की उम्मीद है। जॉर्जीवा ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) में कहा, ‘हमने एक बड़े बाजार भारत में गिरावट देखी है लेकिन हमारा मानना है कि यह अस्थायी है। हमें आने वाले समय में गति बढऩे का अनुमान है।’