लॉकडाउन का डर, जरूरी सामान खरीदने बैचेन लोग
1 min readदेश में कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण लॉकडाउन (बंदी) की आशंका बढ़ गई है और इसके मद्देनजर लोगों ने जरूरी सामान जुटाना शुरू कर दिया है। दक्षिण कोलकाता के निवासी सुमित समददार ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में कम से कम एक महीने के लिए परचून का सामान खरीदकर रखना ठीक रहेगा। कोई नहीं जानता है कि कल क्या होगा। जरूरी सामान उपलब्ध होगा या नहीं और इनकी कीमत कितनी होगी।’ सीमेंट कंपनी में काम करने वाले समददार अकेले शख्स नहीं हैं जो ऐसा सोचते हैं।
नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों में देशभर में लाखों लोगों ने परचून की दुकानों, खुदरा शृंखलाओं और ऑनलाइन माध्यम से खाने पीने की जरूरी चीजों की खरीद की है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर कोविड-19 संकट गहराता है तो देश में लॉकडाउन की स्थिति पैदा हो सकती है। हालत यह है कि खाने पीने की जरूरी चीजों की भारी मांग को देखते परचून की दुकानों को स्टॉक की अवधि कम कर दी है। जिन चीजों की भारी मांग हैं, उनमें आटा, चावल, चीनी, खाद्य तेल, दालें और प्याज तथा आलू शामिल हैं। कुछ स्थानों पर तो दुकानदार ग्राहकों को कुछ दिन बाद आने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि उनका स्टॉक पूरी तरह खत्म हो गया है।
चेन्नई की एक पुरानी दुकान के एक ग्राहक ने कहा, ‘बड़े स्टोर पहले ही बंद हो चुके हैं। अगर छोटी दुकानें भी बंद हो गईं तो फिर क्या होगा? हम जरूरी चीजें खरीद रहे हैं ताकि अगर लॉकडाउन की स्थिति आए तो हम अपना गुजारा कर सकें।’कोलकाता की आबादी में मांसाहारियों का बड़ा तबका है। लोग बड़ी मात्रा में डिब्बाबंद मछली और सब्जियां खरीद रहे हैं जिन्हें लंबे समय तक रखा जा सकता है। कमी की आशंका के कारण अनाज और सब्जियों की मांग में बढ़ोतरी हुई है जबकि चिकन और अंडों की मांग में भारी कमी आई है। इस तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है कि चिकन और अंडे खाने से कोविड-19 फैल रहा है।
कोलकाता से 1,500 किलोमीटर दूर दिल्ली के चितरंजन पार्क में किराने की बड़ी दुकान चलाने वाले शंभू नाथ दास ग्राहकों की संख्या में अचानक आई तेजी से निपटने के लिए गांव से अपने भतीजे को बुलाने की योजना बना रहे हैं। दास कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों में उनकी बिक्री 25 फीसदी बढ़ गई है। घर पर सामान पहुंचाने की मांग बढ़ रही है क्योंकि बुजुर्ग लोग घर से बाहर आने से परहेज कर रहे हैं। अहमदाबाद में अनाज विक्रेता पानचंद जेवरदास ऐंड संस (पीजेड) के मुताबिक पिछले शुक्रवार से अनाज और दालों की मांग 100 फीसदी से अधिक बढ़ी है जबकि चेन्नई में व्यापारियों के संगठन तमिलनाडु वनिकर संगनकलिन पेरमैप्पू के नेता एएम विक्रमराजा ने कहा कि लोग सामान्य से दोगुना खरीदारी कर रहे हैं। खासकर चावल, गेहूं और दालों की जबरदस्त मांग है।
पीजेड के एक मैनेजर ने कहा, बड़े गुजराती परिवार पूरे साल के लिए अनाज और दालों की खरीदारी करते हैं। लेकिन गैर-गुजराती छोटे परिवार भी जमकर खरीदारी कर रहे हैं। इससे हमारी दैनिक बिक्री 100 फीसदी से अधिक बढ़ गई है।’ अहमदाबाद की सबसे बड़ी किराना दुकानों में से एक टैंकरवाला ऐंड संस के मालिक प्रेमल टैंकरवाला ने कहा, ‘ग्राहक अब एक बार में 500 ग्राम या एक किलो खरीद रहे हैं जबकि पहले यह मात्रा कम थी। धनाढ्य परिवार ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं लेकिन लगता है कि मध्य वर्ग को कोरोनावायरस की कोई परवाह नहीं है।’इस बीच छोटे खुदरा कारोबारियों की संस्था कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने एक बयान जारी कर लोगों से इन अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की है कि कोरोनावायरस संकट के कारण दुकानदार अपनी दुकानें बंद करने जा रहे हैं।
सीएआईटी के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि बाजारों को बंद करने के किसी भी फैसले से पहले इसके सारे पहलुओं पर विचार करेंगे क्योंकि लोग सबसे पहले पड़ोस की दुकान का ही रुख करते हैं।कारोबारियों का कहना है कि भारत के पास बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में गेहूं, चावल और दालें उपलब्ध है। सरकार के पास अनाज के गोदाम भरे हुए हैं और दाल, प्याज और आलू की नई फसल अगले कुछ हफ्तों में बाजार में आने वाली है।
मुंबई के उपनगरीय इलाके सांताक्रूज पूर्व में थोक विक्रेता नागरिक सोसाइटी स्टोर्स खाली हो गया है। दुकान के मालिक विश्वास पाटिल ने कहा, ‘न साबुन है, न दाल और न ही आटा। सारा सामान बिक चुका है।मैं अमूमन अपने गोदाम में दो से तीन सप्ताह का माल रखता हूं। लेकिन पिछले एक सप्ताह से लोग बहुत सामान खरीद रहे हैं। मेरे पास अब खाने पीने के सामान, बेवरिजेस और पर्सनल केयर का सामान खत्म हो चुका है।’बांद्रा के अल-नूर स्टोर्स में भी यही हालत है। दुकान में मालिक अहमद खान के पास सारा सामान खत्म हो चुका है और वह सामान मंगाने के लिए कई बार अपने वितरक को फोन कर चुके हैं।