कोरोना के डर से चांदी काट रहे छोटे उद्यमी
1 min readभारत में कोरोना वैश्विक महामारी के प्रवेश करने से बाजार में छोटी-बड़ी कंपनियां ‘डर की अर्थव्यवस्था’ को भुनाने की होड़ में शामिल हो गई हैं। इन उत्पादों में मुख्य रूप से श्वसन और सर्जिकल मास्क, सैनिटाइजर और स्टेराइल वाइप्स और थर्मल ताप मापने के उपकरण आदि शामिल हैं। इनका उत्पादन बड़ी दवा कंपनियां करती हैं, लेकिन अब मौके को भुनाने के लिए छोटी स्टार्टअप भी उतर गई हैं। अब तक घरेलू हैंड-सैनिटाइजर का उत्पादन ब्रिटेन की रैकिट बैंकाइजर जैसी कंपनियां (डेटॉल) और औद्योगिक श्रेणी के संस्करण जैसे स्टरलियम का उत्पादन जर्मनी की कंपनी रामन ऐंड वेल करती है।
हालांकि अब बाजार में सभी मेडिकल स्टोरों और ऑनलाइन बहुत से नए ब्रांड आ गए हैं। इसका एक उदाहरण फीयरलैस है, जिसका उत्पादन सज्जन राज कुरूप की कंपनी फीयरलेस फार्मा करती है। कुरूप ने हाल में सक्रमणरोधी उत्पाद पेश किए हैं। उन्होंने कहा, ‘कच्चा माल उपलब्ध नहीं है और हम उन चीजों का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं, जिनका उत्पादन करना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘भविष्य में हम ठेके पर विनिर्माण के बजाय एक छोटी इकाई स्थापित करने के बारे में विचार कर सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि लोगों को एथनॉल के ऑर्डर देने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। अनुबंध पर आपूर्ति करने वालों का कहना है कि वे पांच दिन से नहीं सो रहे हैं क्योंकि ठेके पर विनिर्माण करने वाली बहुत सी छोटी इकाइयां एथनॉल और अन्य रसायन खरीदने में जुटी हुई हैं ताकि वे जल्द अपने सैनिटाइजर उतार सकें। स्टेरिलियम को हैंड सेनेटाइजर में सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन इसका स्टॉक पूरी तरह खत्म हो गया है।
चिकित्सा उपकरणों का एक उद्यम चलाने वाले मुंबई के डॉक्टर शाहवीर नूरायेजदान ने कहा कि सैनिटाइजर के प्रभावी होने के विभिन्न स्तर हैं। उन्होंने कहा, ‘सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आपके सैनिटाइजर में 70 फीसदी आइसोप्रोपलीन एल्कोहल होना जरूरी है, लेकिन एमेजॉन और छोटे स्टोरों पर जो सैनिटाइजर बिक रहा है, उसमें यह गुणवत्ता होने की कोई गारंटी नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘जैल आधारित हैंड क्लीनजर में मुख्य रूप से ग्लिसरीन है और यह बैक्टीरिया और वायरस को मारने में कतई सक्षम नहीं है।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने थर्मल नॉन टच थर्मामीटर के एक डीलर से बात की, जिन्होंने कहा कि 25 से अधिक का ऑर्डर ही पूरा होगा और इसमें एक सप्ताह का समय लगेगा। उन्होंने कहा कि कीमतें भी बढ़ गई हैं। जो उपकरण आम तौर पर खुदरा बाजार में 2,000 रुपये में बिकते हैं, वे 9,000 रुपये में बिक रहे हैं।
इसकी वजह पूछने पर उन्होंने स्टॉक न होने की बात कही। उसने कहा कि आपूर्ति नहीं हो रही है। हालांकि इन्फ्रा-रेड नॉन कॉन्टैक्ट थर्मामीटर के कई ब्रांड हैं, जिनमें चीन के ब्रांड और पूजा इंजीनियरिंग जैसे घरेलू ब्रांड भी शामिल हैं। इस खंड में अमेरिका की फ्लूक कॉरपोरेशंस के उत्पादों को सबसे अच्छा ब्रांड माना जाता है। ऑनलाइन सस्ते इन्फ्रा रेड थर्मामीटर भी बिक रहे हैं, जिन्हें एक कंपनी श्रीनिका बेच रही है। इस कंपनी के अन्य उत्पादों में सन ग्लासेज और जूतों के लिए इनसोल शामिल हैं।
इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी 3एम सबसे अच्छे श्वसन मास्क बनाती है। ये सर्जिकल सुरक्षा से लेकर अधिक बेहतर गुणïवत्ता तक के होते हैं। निस्संदेह बहुत सी दुकानों में उनके मास्क खत्म हो गए हैं। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘3एम यह समझने के लिए आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर काम कर रही है कि कैसे कोविड-19 उनकी 3एम मुहैया कराने की क्षमता को प्रभावित करेगा। इसमें आपूर्तिकर्ताओं के साथ निकट और लंबी अवधि में निरंतर आपूर्ति करना भी शामिल है।’
अब तो परिधान विनिर्माता ही उस कपड़े से मास्क बनाने लगे हैं, जो चिकित्सा श्रेणी के उत्पादों के समान नजर आते हैं। महिलाओं की ड्रेस और कुर्ते बनाने वाली दिल्ली की इकाई कलर फ्यूल ने सर्जिकल मास्क बनाना शुरू कर दिया है, जो रोजाना इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाते हैं। इन सर्जिकल मास्क की खुदरा बाजार में बिक्री 10 से 15 रुपये में हो रही है। कंपनी के निदेशक सादिक सिद्दीकी ने कहा, ‘मांग के साथ कीमत बढ़ रही है।’
उन्होंने कहा, ‘उद्योग में वास्तविक मांग व्हाट्सऐप और सोशल मीडिया के जरिये बढ़ाई जा रही है। इस वजह से कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।’ मास्क बनाने वाली एक अन्य कंपनी विंसम है। इसका दावा है कि उसके मास्क वायरस से सुरक्षा, वायु प्रदूषण और व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर हैं। कंपनी दो मास्क के लिए 300 रुपये वसूलती है। इसी साइट से पता चलता है कि विंसम का मुख्य कारोबार पॉलिएस्टर के डफल बैग, नायलॉन बैग और लेदर के बेल्ट है।