आधार मूल्य पर नीति आयोग में विरोधाभास
1 min readनीति आयोग ने कुछ दिनों पहले ही भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण को पत्र लिखकर डेटा या वॉयस शुल्कों के लिए किसी तरह की आधार कीमत तय करने का विरोध किया था। उसके एक हफ्ते के भीतर ही आयोग ने अपने दूसरे पत्र में न्यूनतम आधार कीमत तय करने के पक्ष में अपना इरादा जताया है।
- नीति आयोग ने कुछ दिनों पहले ही भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण को पत्र लिखकर डेटा या वॉयस शुल्कों के लिए किसी तरह की आधार कीमत तय करने का विरोध किया था। उसके एक हफ्ते के भीतर ही आयोग ने अपने दूसरे पत्र में न्यूनतम आधार कीमत तय करने के पक्ष में अपना इरादा जताया है।
नई दिल्ली। नीति आयोग की महासचिव अर्चना जी गुलाटी ने 28 फरवरी के अपने पत्र में कहा था कि परामर्श पत्र अपने आप में बाजार के हस्तक्षेपों को रेखांकित करता है। ये हस्तक्षेप कीमत नियंत्रणों के रूप में सामने आए हैं जैसे कि प्रस्तावित न्यूनतम आधार कीमत से प्रतिस्पर्धा, लागत क्षमता, कीमत और गुणवत्ता मानकों को चोट पहुंच सकती है और इससे नई कंपनियों के शामिल होने व नवाचार की गुंजाइश समाप्त होगी।
पत्र में कहा गया, ‘हाल के वर्षों में बहुत कम शुल्कों के कारण बेहतर तकनीक से लैस नई कंपनियों ने इस क्षेत्र में कदम रखा जिन्होंने बाजार में महत्त्वपूर्ण बदलाव किए। इससे प्रतिस्पर्धा सघन हुई और बाजार की वृद्घि हुई।’ ट्राई की ओर से वॉयस और डेटा शुल्कों के लिए न्यूनतम आधार सहित शुल्कों के मुद्ïदों पर साझेदारों से सिफारिशें मंगाई गई थी।
सरकारी थिंक टैंक का यह पत्र इसी की प्रतिक्रिया में नियामक को भेजा गया था। गुलाटी ने कहा कि अब आधार कीमत तय करने पर वैसी कंपनियों के आगमन पर रोक लग जाएगी लिहाजा ग्राहक प्रतिस्पर्धा के कारण मिलने वाले लाभों से वंचित हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि न्यूनतम आधार कीमत तय करने पर विचार करने का एकमात्र कारण इस क्षेत्र में मौजूद वित्तीय दबाव को दूर करना है।
लेकिन 4 मार्च को ट्राई को लिखे गए एक अलग पत्र में नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत ने आयोग के पहले के विचार से ठीक उलट विचार रखते हुए आधार कीमतों के निर्धारण को जोर देकर समय की जरूरत बताया है। उनका मत है कि यह कदम कंपनियों की बहुलता को कायम रखने में सहायक होगा जो स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए महत्त्वपूर्ण है।
उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘इस क्षेत्र पर कर्ज के भारी दबाव और कीमतों में अव्यावहारिक स्तर तक हालिया गिरावट को देखते हुए आधार कीमत तय करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।’ कांत ने आगे कहा कि आधार कीमतों का निर्धारण राष्ट्र के हित में है और इस क्षेत्र के लिए अत्यावश्यक राहत उपाय सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है जिससे अंतत: उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था को ही लाभ होगा।