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सेवा क्षेत्र की वृद्धि फरवरी में 7 साल के सर्वोच्च स्तर पर

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सेवा क्षेत्र की वृद्धि नवंबर से मजबूत हो रही है। उससे पहले के दो महीनों में सेवा क्षेत्र की वृद्धि में गिरावट आई थी। सेवा क्षेत्र में वृद्धि का रुझान विनिर्माण गतिविधियों के समान है। विनिर्माण गतिविधियों में जनवरी में भारी तेजी आई है। जनवरी में विनिर्माण पीएमआई 55.3 रहा, जो करीब 8 वर्षों में सबसे अधिक है। निर्यात और नए ऑर्डर बढऩे से सेवा क्षेत्र की वृद्धि फरवरी में 7 साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गईं।

नई दिल्ली। निक्केई इंडिया सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) फरवरी में 57.5 पर रहा, जो जनवरी में 55.5 की तुलना में अधिक है। पीएमआई का 50 अंक से अधिक होना विस्तार और इससे कम होना गिरावट को दर्शाता है। प्रत्येक संकेतक में वृद्धि के बावजूद क्षेत्र में सृजित रोजगार अवसरों की संख्या गिरकर तीन महीने के निचले स्तर पर आ गई।

उद्योग से जुड़े लोगों ने कहा कि सेवाओं में फरवरी में वृद्धि मुख्य रूप से नया वैश्विक कारोबार आने की वजह से हुई है। इससे कंपनियों को 2019 के भारी उतार-चढ़ाव से उबरने में मदद मिली है। चुनौतियों के बावजूद निर्यात में 2019 में लगभग पूरे वर्ष में वृद्धि रही। हालांकि लगातार 11 महीनों तक बढ़ोतरी के बाद जनवरी में गिरावट दर्ज की गई। ज्यादातर पैनलिस्ट इसकी वजह चीन, यूरोप और अमेरिका से कमजोर मांग बताई थी।

फरवरी में नए काम के ऑर्डरों में भी सात साल में दूसरी सबसे अधिक वृद्धि रही। नीति निर्माताओं को इस बात से खुशी होगी कि काम के ज्यादातर नए ऑर्डर घरेलू बाजार से आए हैं। ये 2018 में आर्थिक गिरावट के लंबे दौर के बाद घरेलू मांग में बढ़ोतरी का संकेत देते हैं। इसके नतीजतन फरवरी में लगातार पांचवें महीने बिक्री में बढ़ोतरी हुई।

वित्त वर्ष 2019-20 की आखिरी तिमाही में बकाया काम में बढ़ोतरी के बावजूद सेवा प्रदाताओं ने ïïफरवरी में नियुक्तियों पर अंकुश लगाए रखा। कुछ कंपनियों ने मौजूदा काम के लिए पर्याप्त कर्मचारी होने के मद्देनजर कर्मचारियों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं की। हालांकि इसके बावजूद पांच उप-क्षेत्रों में से चार में रोजगार के आंकड़े बढ़े हैं। केवल वित्त एवं बीमा में रोजगार के मौके नहीं बढ़े।

आईएचएस मार्किट के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ‘विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में नए काम में सकारात्मक बढ़ोतरी से पता चलता है कि मार्च में फ्रि निजी क्षेत्र के उत्पादन में अहम इजाफा होगा, जो अंतिम तिमाही के जीडीपी के लिए अच्छा होगा।’ हालांकि कंपनियां अपने लाभ को बढ़ाने में कामयाब रही हैं क्योंकि नए कारोबारों में ऊंची वृद्धि से कच्चे माल की कीमतों में उतनी बढ़ोतरी नहीं हुई। कच्चे माल की औसत लागत में वृद्धि धीमी रही। सर्वेक्षण में शामिल ज्यादातर लोगों ने कहा कि लागत के बोझ में सबसे अधिक योगदान खाद्य, श्रम, सामग्री और तेल की कीमतों का है। लेकिन सेवाओं के लिए वसूली जाने वाली औसत कीमतों में कम बढ़ोतरी हुई है। शुल्क में बढ़ोतरी जनवरी की तुलना में कम थी। केवल छह फीसदी कंपनियों ने अपनी फीस बढ़ाई।

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