Sun. May 5th, 2024

लाहौर हाईकोर्ट : 8 मार्च महिला दिवस के लिए “औरत मार्च” को मंजूरी

1 min read

लाहौर। पकिस्तान के लाहौर हाईकोर्ट ने कहा है कि देश के संविधान और कानून के तहत “औरत मार्च” को रोका नहीं जा सकता है। 8 मार्च को महिला दिवस पर देशभर में महिलाएं सड़क पर उतरेंगी। पाकिस्तान की अदालत ने साथ ही कहा है कि मार्च में शामिल होने वाली महिलाएं “शालीनता और नैतिक मूल्यों का पालन करें।” साथ ही अदालत ने पुलिस से मार्च को पूरी सुरक्षा देने को कहा है। पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पूरे देश में “औरत मार्च” का आयोजन हो रहा है।

पिछले दो साल से जारी इस आयोजन में पाकिस्तान की हजारों महिलाएं शामिल हो चुकी हैं। पिछले महीने औरत मार्च के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि इस तरह के आयोजन में अनैतिकता की बातें होती हैं। याचिका में कहा गया था कि इस तरह के आयोजन का एजेंडा इस्लाम के खिलाफ “निंदा और नफरत” फैलाना होता है। अदालत ने प्रशासन को आदेश दिया कि वह मार्च के स्थान को लेकर आयोजकों से मिलकर फैसला लें। महिला संगठनों और अधिकार समूहों के अलावा इस मार्च में एलजीबीटी समुदाय के सदस्य भी शामिल होते हैं, जो अपने अधिकार की मांग करते आए हैं। अंतरराष्ट्रीय

मानवाधिकार संस्थाएं हाल के सालों में पाकिस्तान में अधिकार कार्यकर्ताओं पर हो रही कार्रवाई को लेकर चिंता जताते रहे हैं। आंदोलन के वकील साकिब जिलानी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, “अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मार्च में शामिल होने वाली औरतों को नारेबाजी के दौरान शालीनता और नैतिक मूल्यों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।” साथ ही उन्होंने बताया कि कोर्ट ने एक कोड ऑफ कंडक्ट तैयार करने को कहा है। हालांकि उनके मुताबिक यह पहले से ही मौजूद है।

स्थानीय पुलिस को भी कहा गया है कि महिलाओं के मार्च को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाए। पुलिस ने अदालत को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि मार्च को पाकिस्तान तालिबान जैसे कट्टरपंथी समूहों के आतंकियों से खतरा है। पुलिस ने अदालत से कहा है कि वह मार्च को सुरक्षा देने को तैयार है लेकिन आयोजकों के लिए जरूरी है कि वे मार्च में “विवादास्पद कृत्य” में शामिल होने से बचें।

पिछले साल रूढ़िवादी संगठनों ने मार्च के दौरान लगाए गए नारों को लेकर आपत्ति दर्ज की थी। पिछले साल महिलाओं ने “मेरा शरीर, मेरी पसंद!” , “मेरा शरीर, आपके लिए युद्ध का मैदान नहीं है!” और “मासिक धर्म को लेकर डरना बंद करो!” जैसे नारों का इस्तेमाल किया था। पिछले साल के आयोजन के बाद मार्च के आयोजनकर्ताओं को धमकियों का सामना करना पड़ा था, जिसमें हत्या और बलात्कार की धमकियां शामिल थीं। इस साल के आयोजन से पहले वॉलंटियर और आयोजकों का कहना है कि इस्लामाबाद और लाहौर में पोस्टर नष्ट कर दिए गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Double Categories Posts 1

Double Categories Posts 2

Posts Slider