टूरिस्ट वीजा पर नौकरी का झांसा: जाल में फंसने को मजबूर भारतीय
1 min read- संयुक्त अरब अमीरात यूएई की कुछ कंपनियां कई भारतीयों को टूरिस्ट वीजा पर ले जाती हैं और फिर नौकरी के नाम पर इन लोगों का खूब शोषण किया जाता है।
पुलिस और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि लोगों को फंसाने के लिए टूरिस्ट वीजा का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है कि वर्क परमिट के मुकाबले उसे हासिल करना बहुत आसान होता है। इसमें समय भी कम लगता है और पैसे भी ज्यादा नहीं खर्च करने पड़ते।
यूएई पहुंच कर भारतीय कामगारों को समझ आता है कि वह किस जाल में फंस गए हैं। वे पुलिस अधिकारियों के पास जाकर अपने शोषण की शिकायत भी नहीं कर सकते क्योंकि फिर पुलिस को पता चल जाएगा कि वे गैरकानूनी तरीके से नौकरी कर रहे हैं। इससे ना सिर्फ उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा बल्कि कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा।
यह सब कितने बड़े पैमाने पर हो रहा है, इस बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है क्योंकि टूरिस्ट वीजा का ब्यौरा भारत और यूएई के माइग्रेशन या रोजगार रिकॉर्ड्स में नहीं होता। लेकिन कामगारों, पुलिस और वकीलों का कहना है कि यूएई में यह समस्या लगातार बढ़ रही है। इस खाड़ी देश में लगभग तीस लाख भारतीय कामगार काम करते हैं, जिन्हें झटपट बड़ी निर्माण परियोजना पर काम करने के लिए रखा जाता है।
तेलंगाना में इमिग्रेंट्स वेलफेयर फोरम के अध्यक्ष भीम रेड्डी ने बताया, “एंप्लॉयर्स और रिक्रूटर्स ने मिल कर ये नया टूरिस्ट वीजा रूट निकाला है।” रेड्डी की संस्था का अनुमान है कि पिछले साल जुलाई से उनके राज्य के लगभग दस हजार लोगों को यूएई में काम मिला और वे टूरिस्ट वीजा पर वहां गए।
अक्टूबर में होने वाली दुबई एक्सपो 2020 वर्ल्ड फेयर जैसे आयोजनों से पहले यूईए में थोड़े समय के लिए बुलाए जाने वाले कामगारों की संख्या बढ़ जाती है। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह के आयोजन घपला करने वालों के लिए बड़े मौके साबित होते हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि भारतीय कामगार रोजगार की तलाश में खाड़ी देशों में दशकों से जाते रहे हैं। लेकिन उन्हें टूरिस्ट वीजा पर बुलाया जाना एक नया चलन है।
दुबई की अदालतों में प्रवासी मजदूरों के केसों पर काम करने वाली अनुराधा वोबिलीसेट्टी कहती हैं कि उन्होंने 2018 से कम से कम 270 ऐसे कामगारों की मदद की है जिन्हें टूरिस्ट वीजा पर लाया गया और पूरा वेतन नहीं दिया गया।
वर्क परमिट जहां दूतावास जारी करते है और इससे पहले पूरी कागजी कार्यवाही होती है, वहीं टूरिस्ट वीजा होटल और एयरलाइन बेचती हैं जिसके चलते कामगारों के पास कोई अधिकार नहीं होते और उन्हें नौकरी पर रखने वाली कंपनी या लोग सभी जिम्मेदारियों से मुक्त होते हैं। वोबिलीसेट्टी कहती हैं, “एयरपोर्ट पर ही उनके (कामगारों के) पासपोर्ट एजेंट ले लेता है और महीनों तक उन्हें पासपोर्ट नहीं मिलता। लेकिन वे कई महीनों तक बिना वेतन काम करते रहते हैं क्योंकि उन्हें डर सताता है कि कहीं उनके गैरकानूनी तरीके से काम करने की बात पुलिस तक ना पहुंच जाए।”