ढांचागत परियोजनाओं पर जोर
1 min readनई दिल्ली| मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए 102 लाख करोड़ रुपये महत्त्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि 23 क्षेत्रों और 18 राज्यों में उन परियोजनाओं की पहचान कर ली गई है जिन पर अगले पांच साल के दौरान अमल किया जाएगा।
सीतारमण ने कहा कि इन परियोजनाओं पर केंद्र और राज्य सरकारें 39-39 फीसदी राशि देंगे जबकि निजी क्षेत्र 22 फीसदी निवेश करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार 2024-25 तक निजी क्षेत्र की भागीदारी 30 फीसदी तक बढऩे की उम्मीद कर रही है। वित्त मंत्री ने साथ ही कहा कि आने वाले दिनों में इसमें तीन लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं और शामिल हो सकती हैं। इस तरह इस योजना पर कुल राशि 105 लाख करोड़ रुपये तक जा सकती हैं।
इस योजना में केंद्र, राज्य, निजी क्षेत्र और सरकारी कंपनियों की नई-पुरानी परियोजनाओं के साथ-साथ सार्वजनिक-निजी साझेदारी मॉडल के तहत आने वाली परियोजनाएं शामिल हैं। रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 42.7 लाख करोड़ रुपये (43 फीसदी) लागत की परियोजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है, 32.7 लाख करोड़ रुपये (करीब 33 फीसदी) लागत की परियोजनाएं कतार में हैं और 19.1 लाख करोड़ रुपये (करीब 19 फीसदी) लागत की परियोजनाएं पर काम चल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषण में कहा था कि देश में अगले पांच साल में बुनियादी ढांचे के विकास पर 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। उससे पहले आम बजट में भी इसका जिक्र था। सीतारमण ने कहा कि आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती की अगुआई में गठित एक कार्य बल ने चार महीने के अल्पावधि में 70 संबद्ध पक्षों के साथ विचार विमर्श करने के बाद 102 लाख करोड़ रुपये लागत की परियोजनाओं की पहचान की। कार्य बल की पहली बैठक सितंबर, 2019 में हुई थी।
इसके बाद बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के कई विभागों तथा कंपनियों के साथ कई बैठकें हुई। इस मौके पर चक्रवर्ती ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र का निवेश देश के मौजूदा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.8 फीसदी है और सरकार को उम्मीद है कि 2024-25 तक यह आंकड़ा 1.1 फीसदी तक पहुंच जाएगा।
इस योजना के लिए जिन क्षेत्रों की परियोजनाओं पहचान हुई है उनमें परंपरागत ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा, रेलवे, सड़क, शहरी विकास, सिंचाई, उड्डïयन, शिक्षा और स्वास्थ्य शामिल हैं। इनमें से बड़ा हिस्सा ऊर्जा क्षेत्र को जाने की उम्मीद है। इसमें बिजली, अक्षय ऊर्जा, तेल और गैस शामिल है। करीब 24 लाख करोड़ रुपये की परियोजना बिजली क्षेत्र की हैं। इसी तरह सड़क निर्माण क्षेत्र की 20 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं और करीब 14 लाख करोड़ रुपये की रेल परियोजनाएं हैं। हालांकि वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि मौजूदा आर्थिक सुस्ती को देखते हुए इन परियोजनाओं के लिए वित्त जुटाना आसान नहीं होगा।