फेशियल रिकग्निशन तकनीक पर उठे सवाल, सुरक्षा या कुछ और
1 min readफेशियल रिकग्निशन तकनीक पर पूरी दुनिया में बहस छिड़ी हुई है| 2019 में भारत से लेकर अमेरिका तक इस तकनीक पर सवाल उठते रहे हैं| सरल भाषा में कहें तो फेशियल रिकग्निशन यानी चेहरे की पहचान करने वाली टेक्नोलाजी जिसे दुनिया में सुरक्षा के लिहाज से बहुत कारगर समझा जा रहा था। हाल ही में चेहरे की पहचान करने वाली इस टेक्नोलाजी को अमेरिका के सैन फ्रांसिसको में बैन कर दिया गया। इसके बाद से ही इस तकनीक पर प्रश्न खड़े होने शुरू हो गए हैं। सैन फ्रांसिसको ने इसे बड़े स्तर पर दुरुपयोग और कई बार गलत फेशियल रिकग्निशन की वजह से प्रतिबंध लगाने के लिए एक बिल पारित किया।
फेशियल रिकग्निशन तकनीक
यह बायोमेट्रिक सॉफ्टवेयर की एक श्रेणी है जो किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं को गणितीय रूप से मैप करती है| डाटा को फेसप्रिंट के रूप में संग्रहीत करती है| यह सॉफ्टवेयर किसी व्यक्ति की पहचान के लिए डीप लर्निंग एल्गोरिदम का प्रयोग करता है| चेहरे की विशेषताओं के आधार पर लोगों की पहचान करने का यह कम्प्यूटरीकृत तरीका है| यह तकनीक कैमरे से चलती है|
भारत में चायोस की चाय पर उठे थे सवाल
भारत की लोकप्रिय चाय परोसने वाली चेन चायोस को अपने ग्राहकों के गुस्से का उस समय सामना करना पड़ा जब उसके कुछ आउटलेट में सर्विस को बेहतर करने के नाम पर ग्राहकों पर इस फीचर का इस्तेमाल किया गया| सोशल मीडिया पर लोगों की शिकायत के बाद इस फीचर को वापस तो ले लिया गया, लेकिन भारत में मानवाधिकार संस्थाएं सरकार से लोगों की गोपनीयता की रक्षा के लिए कानून बनाए जाने की अपील कर रही हैं|
ब्रिटेन के मॉल और म्यूजियम में इस्तेमाल
हाल ही में एक खुलासे में पता चला कि लंदन के किंग्स क्रॉस क्षेत्र में प्रॉपर्टी डेवलपर ने फेशियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल किया| ब्रिटेन में इस तकनीक को विरोध सहना पड़ा| बाद में यह सामने आया कि शेफील्ड मॉल और लिवरपूल म्यूजियम भी पुलिस के साथ मिलकर फेशियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे थे| नागरिक स्वतंत्रता समूह ने इस प्रवृत्ति को राष्ट्रव्यापी “महामारी” करार दिया|
अफगानिस्तान में वोटरों पर इस्तेमाल
अफगानिस्तान के अधिकारियों ने फेशियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल वोटरों पर किया| तकनीक को इस्तेमाल करने का प्रमुख कारण था वोटरों की धोखाधड़ी को रोकना| इस तकनीक का नुकसान यह हुआ कि कई महिलाएं वोट नहीं दे पाई| 30 हजार पोलिंग बूथ में करीब 1400 बूथ में महिला स्टाफ नहीं होने के कारण बुर्का नशीं महिलाओं को इस तकनीक से नहीं जोड़ा जा सका|
अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को ने इस तकनीक पर लगाया बैन
2019, मई में सैन फ्रांसिस्को अमेरिका का पहला शहर बना जिसने इस तकनीक के बेचने और इस्तेमाल दोनों पर बैन लगा दिया| अमेरिका में इस तकनीक पर बढ़ते असंतोष के बाद यह फैसला लिया गया| सरकार फेशियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल कई सालों से कर रही है, लेकिन क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के बाद यह कहीं ज्यादा शक्तिशाली हो गई है| ऑकलैंड, बर्कले, और समरविले में भी ऐसे नियम लागू कर दिये गए हैं|
चीन में वन्यजीव पार्क को कोर्ट में खड़ा किया गया
इस साल अक्टूबर में कानून के प्रोफेसर ने चीन के वन्यजीव पार्क के खिलाफ कोर्ट में शिकायत तब की जब पार्क ने सभी ग्राहको की पहचान के लिए फेशियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल किया| चीन में इस तरीके का यह पहला मामला था| प्रोफेसर ने इस तकनीक के जरिए इकठ्ठा हुए डाटा को गैरजरूरी और उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लंघन बताया|
कजाकिस्तान में बस में सैर के लिए उपयोग
कजाकिस्तान की राजधानी नूर-सुल्तान में मीडिया के मुताबिक यहां की बस में यात्रा करने वालों पर फेशियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया| सामाजिक कार्यकर्ताओं और कुछ उपयोगकर्ताओं ने इस तकनीक की शिकायत की है| इस तकनीक को लोगों की निजी जिंदगी में घुसपैठ और अतिरिक्त निगरानी करने वाला बताया गया है|
दुनियाभर के यात्रियों पर नजर
पहली बार इस तकनीक पर सवाल तब उठे जब अमेरिका में यात्री ने ट्वीट कर अमेरिकी सरकार के उस अभ्यास पर सवाल उठाए जिसमें उसने देखा कि अमेरिका में आने और जाने वाले हर यात्री पर इस तकनीक का इस्तेमाल होता है| मानवाधिकार संस्थाएं इस तकनीक का विरोध करती आई हैं| एयरपोर्ट पर सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए भारत, सिंगापुर, ब्रिटेन और नीदरलैंड्स फेशियल रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल करते आ रहे हैं|