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डेढ़ दशक पहले आज के दिन ही आई थी एशिया में सुनामी

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  • विश्व सुनामी दिवस आज
  • दो लाख तीस हजार लोगों की मौत हो गई थी
  • अब भी भूल नहीं पाए वह भयानक मंजर  

नई दिल्ली| 26 दिसंबर 2004 को 9.1 की तीव्रता वाले भूकंप के बाद इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में सूनामी के कारण समंदर से  57 फीट ऊंची लहरें उठी थीं| सूनामी ने भारत समेत हिंद महासागर के तट पर स्थित 14 देशों में कई किलोमीटर दूर तक तबाही मचा दी थी| इस आपदा में करीब दो लाख तीस हजार लोगों की मौत हो गई थी| इंडोनेशिया के आचेह प्रांत में सूनामी की लहरों की वजह से गांव के गांव तबाह हो गए थे और करीब 1 लाख 25 हजार लोग समंदर की लहरों में बह गए थे|

2004 की तबाही के बाद आचेह दोबारा खड़ा हो गया है| वहां उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में सरकारी भवन, स्कूल, कॉलेज और हजारों मकान का निर्माण हो चुका है| सूनामी का सबसे पहला प्रहार आचेह प्रांत पर ही हुआ था| वहां सूनामी की 35 मीटर तक ऊंची लहरें उठी थीं| जहां-जहां समंदर का उफनता पानी पहुंचा वहां-वहां तबाही मच गई|

नागापट्टिनम में तबाही में 6 हजार लोगों की मौत हुई थी| भारत में सूनामी के कारण दस हजार लोगों की मौत हो गई थी जबकि पड़ोसी देश श्रीलंका में 35 हजार लोग मारे गए थे| थाईलैंड में सूनामी के कारण 5,300 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें पर्यटक भी शामिल थे| थाईलैंड में अधिकारियों ने मृतकों की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया और लोगों से आपदाओं के लिए अधिक जागरूक रहने का आग्रह किया|

तमिलनाडु के नागापट्टिनम में सूनामी के चलते 6,000 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे| जो जिंदा बच गए थे उनमें से भी कइयों ने अपना घर और परिजन खो दिए थे| कई लोग सूनामी के दंश से अब तक उभर नहीं पाए हैं| नागापट्टिनम जिला सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में से एक था| सूनामी की चपेट में आने वाले अधिकतर परिवार मछुआरे थे, जो समुद्र के पास ही रहते थे|

कई मछुआरे 15 साल पहले आई इस त्रासदी को अब तक भूल नहीं पाए हैं और समंदर में मछली पकड़ने जाने से पहले उनकी आंखों के सामने वही मंजर आ जाता है| तो वहीं जिले के कुछ लोग अपने परिवार के साथ दूसरे शहरों में जा बसे हैं और उनके बच्चे उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद नई जिंदगी जी रहे हैं|

इंडोनेशिया के आचेह प्रांत के डेरी सत्यावान बताते हैं कि सूनामी उनके लिए ना केवल शारीरिक बल्कि भावनात्मक चुनौती भी थी| सत्यावान के परिवार के सदस्यों के साथ-साथ दोस्त भी लहरों में बह गए थे| दो बच्चे के पिता सत्यावान बताते हैं, “पानी ही दर्द भुलाने का एक जरिया है और मैं लहरों पर सर्फिंग करके सूनामी के दर्द को भूल जाता हूं| जब मैं सर्फिंग करता हूं तो मेरे पुराने दर्द और भय दूर हो जाते हैं|”

 

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