20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की पहली किश्त में गरीब नदारद
1 min readमंगलवार को पधानमंत्री के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा के साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाने की घोषणा के दुसरे दिन बुधवार को उसकी पहली किश्त पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से की गई घोषणाएं अर्थव्यवस्था के कई स्तंभों को छूती हैं लेकिन इनमें समाज के उस तबके के लिए कुछ नहीं है जिस पर महामारी और तालाबंदी की सबसे ज्यादा मार पड़ी है।
- नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस आर्थिक पैकेज की घोषणा की, उसकी विस्तृत जानकारी की उत्सुकता से प्रतीक्षा हो रही थी। बुधवार 13 मई को वित्त-मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका ब्यौरा पेश किया। ये घोषणाएं अर्थव्यवस्था के कई स्तंभों को छूती हैं लेकिन जानकारों के बीच इन्हें लेकर उत्साह नहीं दिख रहा है। वित्त मंत्री ने 15 अलग अलग कदमों का उल्लेख किया, जिनमें से छह छोटे और मझौले उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र से संबंधित थे, दो भविष्य निधि से, दो एनबीएफसी से, एक बिजली वितरण कंपनियों से, एक विभिन प्रकार के ठेकेदारों से, एक रियल एस्टेट से और तीन टैक्स से जुड़े कदम थे।
एमएसएमई को कुल तीन लाख करोड़ रुपए के जमानत मुक्त लोन दिए जाएंगे, डूबते हुए ऐसे उद्योंगों को 20,000 करोड़ रुपए के विशेष लोन, अपना आकार बढ़ाने के इच्छुक उद्योगों को 50,000 करोड़ की आर्थिक मदद मिलेगी। अधिकतर छोटे और मझौले उद्योग पैकेज का लाभ उठा पाएं, इस लिहाज से उनकी परिभाषा में संशोधन जैसी घोषणाएं की गईं। भविष्य निधि में कंपनियों और कर्मचारियों के अनिवार्य योगदान को तीन महीनों के लिए 12 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत कर दिया गया है।
बिजली वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी जाएगी। रियल एस्टेट परियोजनाओं को पंजीकरण और कम्पलीशन के लिए छह महीनों का अतिरिक्त समय मिलेगा। सभी तरह के भुगतान में कटने वाले टीडीएस और टीसीएस की दरों में 25 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। इससे कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले पेशेवर लोगों को फायदा मिलेगा।
आने वाले दिनों में वित्त मंत्री और भी घोषणाएं करेंगी जिनमें अर्थव्यवस्था के और क्षेत्रों की भी बात होगी। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को कहा था कि पैकेज कुल 20 लाख करोड़ रुपये का होगा। कुछ जानकारों का अनुमान है कि पहले चरण की घोषणाओं का कुल मूल्य छह लाख करोड़ रुपए है, लेकिन इसमें भारत सरकार के बजट में से एक-डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च नजर नहीं आता, क्योंकि अधिकतर कदम बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान लेंगे।
नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट में सेंटर फॉर एम्प्लॉयमेंट स्टडीज के डायरेक्टर प्रोफेसर रवि श्रीवास्तव ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इन घोषणाओं में कुछ चीजें थीं जो जरूरी थीं। उन्होंने कहा कि छोटे और मझौले उद्योंगों को पैसे मिलने के इंतजामों को मजबूत करने की बिल्कुल जरूरत है लेकिन समस्या यह है कि तमाम इंतजामों के बावजूद बैंक लोन नहीं दे रहे हैं और इन नई घोषणाओं के बाद भी देंगे या नहीं, ये देखना होगा।
इसके अलावा कुछ जानकार यह भी कह रहे हैं कि ये कदम इस समय उनके काम भी नहीं आएंगे जिनके लिए इन्हें उठाया गया है। नई दिल्ली में ही इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि लोन इत्यादि की सुविधाओं का लाभ एमएसएमई तभी उठा पाएंगे जब आर्थिक गतिविधि फिर से शुरू होगी क्योंकि अभी तो वे सब बंद पड़े हैं।
गरीबों के लिए कुछ नहीं
इससे भी बड़ी बात यह है कि कई विशेषज्ञ पैकेज के पहले चरण की घोषणाओं से निराश दिखे क्योंकि इनमें आर्थिक रूप से समाज के सबसे कमजोर तबके के लिए कुछ नहीं था। प्रोफेसर अरुण कुमार ने डीडब्ल्यू से कहा कि वो उम्मीद कर रहे थे कि सरकार सबसे पहले उन गरीबों के लिए एक सर्वाइवल पैकेज की घोषणा करेगी जो पूरी तरह से निर्धन हो चुके हैं, जिनकी आय और आजीविका छिन चुकी है, जिनके पास बचत के नाम पर कुछ भी नहीं है और जो गरीबी रेखा के नीचे गिर चुके हैं, लेकिन उनके लिए किसी कदम की घोषणा नहीं की गई।
विपक्षी पार्टियों ने भी पैकेज को लेकर निराशा व्यक्त की। कांग्रेस ने कहा कि “मामूली एमएसएमई पैकेज को छोड़कर”, पार्टी इन घोषणाओं से “निराश”। पार्टी ने यह भी कहा, “विनाश के मुहाने पर खड़े निचले तबके के 13 करोड़ परिवारों को नकद हस्तांतरण के माध्यम से कुछ भी नहीं मिला” और “यह मेहनती लोगों के लिए एक क्रूर झटका है।” उद्योग जगत ने पैकेज की घोषणाओं का स्वागत किया है। सीआईआई ने इसे एक “असरदार” पैकेज बताया है। फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि आज की घोषणाएं प्रधानमंत्री द्वारा दी गई चार “एल” की रूपरेखा में से एक एल यानी “लिक्विडिटी” पर आधारित थीं।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि ये पैकेज चार एल पर आधारित होगा – लैंड यानी भूमि, लेबर यानी श्रमिक, लॉ यानी कानून और लिक्विडिटी यानी नकदी।