Sun. Apr 28th, 2024

कामकाज शुरू मगर रफ्तार अभी भी बहुत सुस्त

1 min read

चालीस दिन के देशव्यापी लॉकडाउन के बाद सोमवार को देश भर के शहर और कस्बों में आम गतिविधियाँ नजर आई। सोमवार को आम जनता के आवागमन पर से प्रतिबंध कम कर दिए गए और दुकानें, कार्यालय और कारोबार शुरू कर दिए गए।

  • नई दिल्ली। देश के 130 जिलों को रेड जोन की श्रेणी में रखा गया है। इन जिलों में सार्वजनिक परिवहन की इजाजत नहीं होगी। ये जिले देश के सर्वाधिक आबादी वाले जिले तो हैं ही, आर्थिक गतिविधियों की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण शहरी केंद्र भी हैं। सोमवार को लोग निजी वाहनों पर घर से बाहर निकले जिससे दिल्ली, गुडग़ांव, बेंगलूरु और अन्य शहरों में हल्का फुल्का जाम भी लगा।

शहरों और कस्बों में लोगों ने बाल कटवाने के लिए सलूनों का रुख किया जबकि मुंबई तथा उसके उपनगरीय इलाकों में प्रवासी श्रमिक चिकित्सकों के क्लिनिक के बाहर कतार लगाए नजर आए। ये श्रमिक उन चिकित्सा प्रमाणपत्रों की तलाश में आए जिनकी जरूरत उन्हें अपने गांव जाते वक्त पड़ेगी। कई जगह पर शराब खरीदने के लिए भी लंबी कतारें नजर आईं।

बहरहाल, 17 मई तक चलने वाले लॉकडाउन के तीसरे चरण के पहले दिन औद्योगिक गतिविधियों में कोई जीवंतता देखने को नहीं मिली। आपूर्ति शृंखला की सहज उपलब्धता की कमी ने इंजीनियरिंग वस्तुओं के उद्योग को काफी नुकसान पहुंचाया।

निर्यात आधारित उद्योगों ने उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवद्र्धन विभाग को सप्ताहांत पर ही श्रमिकों की कमी की अपनी चिंता से अवगत करा दिया था। जगह-जगह फंसे हुए प्रवासी श्रमिक या तो अपने घरों की ओर जा रहे हैं या फिर एक महीने से बिना वेतन भत्ते के वे वापस अपने घरों को जाने को बेकरार हैं।

बेंगलूरु में आईटी कार्यालयों में सीमित कर्मचारी नजर आए। ग्लोबल टेक पार्क से काम करने वाली माइंडट्री और एक्सेंचर जैसी कंपनियों के कर्मचारियों ने घर से काम करना जारी रखा। इन कंपनियों ने केवल चुनिंदा कर्मचारियों को कार्यालय आने को कहा है जो वैश्विक ग्राहकों के लिए काम करते हैं।

इन्फोसिस के मुख्यालय वाली इलेक्ट्रॉनिक सिटी का भी यही हाल रहा। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि सोमवार को कंपनी के कर्मचारियों की उपस्थिति में कोई बदलाव नहीं आया लेकिन अगले सप्ताह चरणबद्ध तरीके से कर्मचरियों की तादाद बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार के दिशानिर्देश के मुताबिक लॉजिस्टिक्स की समस्या हल होने के बाद ऐसा हो सकता है।

अधिकांश कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को बता दिया है कि वे 18 मई के बाद ही चरणबद्ध तरीके से कार्यालय आकर काम करना शुरू कर सकेंगे। कंपनियों का मानना है कि तब तक हालात सुधर जाएंगे।

तमिलनाडु में कुछ जिलों के अधिकारी कंपनियों को काम शुरू करने की मंजूरी देने के खिलाफ हैं। उन्हें डर है कि इससे कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार चेन्नई के औद्योगिक ठिकानों पर काम करने की मनाही रही। चेन्नई और उसके आसपास वाहन और कलपुर्जा निर्माताओं का काम बंद है।

हुंडई ने आधिकारिक तौर पर कहा कि वह 6 मई से उत्पादन शुरू करेगी जबकि अन्य कंपनियों ने अपनी योजना का खुलासा नहीं किया है। गुडग़ांव में देश की दूसरी सबसे बड़ी दोपहिया निर्माता कंपनी हीरो मोटोकॉर्प ने अपना कामकाज शुरू कर दिया है।
कोलकाता में बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों ने घर से काम करना जारी रखा है। सूत्रों के अनुसार आईटीसी ने अपने कर्मचारियों से घर से काम जारी रखने को कहा है। एवरेडी, गुडरिक और अन्य कंपनियों ने भी ऐसा ही किया है।

एमएसएमई कंपनियों का कहना है कि वे काम शुरू करना चाहती हैं लेकिन उन्हें राज्य सरकार की अधिसूचना की प्रतीक्षा है ताकि चीजें ज्यादा स्पष्ट हो सकें। प्रदेश में सार्वजनिक परिवहन भी बंद है। हालांकि प्रतिबंधों में ढील मिलते ही कई जगह लोगों ने सामाजिक दूरी का पालन करना बंद कर दिया।

पूर्वी दिल्ली में शराब की दुकानों पर भीड़ उमडऩे पर उन्हें बंद करना पड़ा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चेतावनी दी कि ऐसे इलाकों को सील किया जाएगा और प्रतिबंध दोबारा लागू कर दिए जाएंगे। हालांकि राज्य सरकारें पेट्रोल, डीजल और शराब की बिक्री करके राजस्व अर्जित करने को बेकरार हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने आगाह किया कि ऐसा पाया गया है कि महामारी नियंत्रित होने के बाद लोग एक दूसरे से पर्याप्त सामाजिक दूरी नहीं बरतते हैं तो बीमारी पाबंदी हटने बाद तेजी से फैलती है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) ने कहा कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे विभिन्न राज्यों में निर्यात मोर्चे पर औद्योगिक इकाइयों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के मानक परिचालन प्रणाली दिशानिर्देशों और संबंधित राज्यों के स्वास्थ्य विभागों के कायदों में अंतर होने की शिकायत की है।

तमिलनाडु और महाराष्ट्रा जैसे औद्योगिक राज्यों में ग्रीन जोन में भी इकाइयों को परिचालन की अनुमति नहीं दी जा रही है। पूरी दुनिया में पिछले दो महीनों के दौरान विभिन्न दवाओं की मांग के बावजूद बंदी और बंदरगाहों पर माल अटकने से फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने करीब 1।5 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात का नुकसान होने का अनुमान जताया है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा, ‘आखिरकर अब उद्योग जगत परिचालन से जुड़े एक मानक निर्देश के साथ आगे बढऩे के लिए तैयार दिख रहा है। स्वच्छता, रसायनों के छिड़काव, सामाजिक दूरी और परिचालन से जुड़े दिशानिर्देशों के साथ अब वे आर्थिक क्रियाकलाप आगे बढ़ा पाएंगे।’ अब सबकी निगाहें राज्यों सरकारों पर टिकी हैं। अब उद्योग जगत राज्य सरकारों से जमीनी स्तर पर ढील मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के एक अधिकारी ने कहा कि सोमवार को कच्चा माल जुटाना और उत्पादों का परिवहन सबसे बड़ी चुनौती रही। अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ऐसी समस्याएं चली आ रही हैं। वैसे शराब उद्योग और राज्य सरकारों ने सोमवार को राहत की सांस जरूर ली। दुकानें खुलते ही लोगों की भीड़ जुट गई और जबरदस्त बिक्री दर्ज की गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Double Categories Posts 1

Double Categories Posts 2

Posts Slider