क्या 14 अप्रैल के बाद चलेगा बड़ा जांच अभियान
1 min readभारत में 21 दिन का लॉकडाउन जारी है और इसकी अवधि खत्म होने के बाद कोरोनावायरस (कोविड-19) संक्रमण की पुष्टि वाले मामले की जांच के लिए एक बड़ा अभियान शुरू करने की तैयारी चल रही है। उल्लेखनीय है कि संक्रमण को रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी व्यापक जांच की मांग कर रहे हैं।
- नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने इस हफ्ते की शुरुआत में आपूर्तिकर्ताओं से 10 लाख एंटीबॉडी किट (रक्त परीक्षण के जरिये लोगों की जांच के लिए) और 7 लाख आरएनए किट (कोविड-19 की पुष्टि के लिए स्वाब आधारित परीक्षण) के लिए मूल्य ब्योरे (कोटेशन) की मांग की। शुक्रवार को कुल 157 प्रयोगशालाएं परीक्षण के लिए तैयार थीं और इनमें से लगभग 121 सरकारी प्रयोगशालाएं हैं (109 संचालित हैं जबकि 12 को चालू किया जा रहा है) और 36 निजी प्रयोगशालाएं हैं।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के श्रीनाथ रेड्डी ने बताया, ‘भारत को 21 दिन की लॉकडाउन अवधि खत्म होने के बाद व्यापक पैमाने पर जांच करने की जरूरत होगी। वायरस के उभरने की अवधि करीब 15 दिनों की होती है और इसके बाद भी इसके लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसे में अगर हर कोई घर पर रहता है, तब संभावना होती है कि केवल संक्रमित लोगों के परिवार को ही जोखिम होगा। अगर वे बाहर कोई सामान खरीदने के लिए निकलते हैं तब दूसरे भी संक्रमित हो सकते हैं।’ रैपिड स्क्रीनिंग टेस्ट से ही संक्रमित लोगों की पहचान करने में मदद मिलेगी और फिर उन्हें अलग रखा जा सकता है।
इसी वजह से आईसीएमआर परीक्षण तंत्र तैयार करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहा है खासतौर पर रक्त परीक्षण की जांच के लिए पूरी तैयारी है। अमूमन दो प्रकार के परीक्षण होते हैं, एक एंटीबॉडी आधारित परीक्षण (जो जल्दी हो जाता है और सस्ता भी है) जो ज्यादा वायरल वाले व्यक्ति की जांच के लिए होता है और दूसरा पीसीआर परीक्षण किट होता है जिसके जरिये कोविड-19 के संक्रमित मामले की पुष्टि के लिए आनुवंशिक परीक्षण होता है।
डॉक्टरों का कहना है कि परीक्षण का मकसद संक्रमित लोगों की पहचान करना और उन्हें अलग-थलग करना है। लॉकडाउन में जब हर कोई अलग-थलग है तब देश में कम तादाद में जांच के साथ भी स्थिति नियंत्रण में हो सकती है।
सरकार के साथ इस मुद्दे पर मिलकर काम कर रहे एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, ‘भारत को जांच के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए इस समय का उपयोग करना होगा ताकि लॉकडाउन में ढील देने के तुरंत बाद बड़ी संख्या में लोगों की जांच की जा सके। हालांकि अब कोई सिर्फ अनुमान ही लगा सकता है कि लॉकडाउन को चरणों में हटाया जाएगा या नहीं।’
अब तक 26,798 लोगों की जांच हुई
देश में अब तक 26,798 लोगों की जांच हुई है जो पश्चिमी देशों की तुलना में कम है, लेकिन पूर्ण बंदी से भी मकसद पूरा हो सकता है। हालांकि, आईसीएमआर ने उत्पादन क्षमता और आपूर्ति समय-सीमा के बारे में पूछताछ की है और यह शुरुआत में ऐसे जांच किट की तलाश में था जिसे अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) जैसे अंतरराष्ट्रीय प्राधिकरणों द्वारा अनुमोदित किया गया हो।
निजी कंपनियां भी उतरने तैयार
दबाव बढऩे और समय खर्च होने से एजेंसी ने अब देश में कॉमर्शियल इस्तेमाल के लिए पॉजिटिव और निगेटिव नमूनों के बीच 100 फीसदी प्रतिशत सामंजस्य के साथ टेस्ट किट की अनुमति देने के मानदंडों में ढील दी है। निजी कंपनियों ने भी इसमें कदम रखा है। गुजरात की कंपनी कोसारा डायग्नॉस्टिक्स अप्रैल से एक दिन में करीब 10,000 किट की आपूर्ति करने के लिए तैयार है। इसने अमेरिका स्थित एक कंपनी के साथ साझेदारी भी की है। स्विटजरलैंड की बहुराष्ट्रीय कंपनी रोशे और अन्य कंपनियों को भी किट की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए दवा नियामक द्वारा लाइसेंस दिया गया है। पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान एंटीबॉडी आधारित जांच किट को प्रमाणित करने की प्रक्रिया में है। सूत्रों का कहना है कि आईसीएमआर को दक्षिण कोरिया, जर्मनी से टेस्ट किट मिलने शुरू हो गए है और अब उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी 10 लाख किट मिलने की उम्मीद है ।
एक सूत्र ने बताया, ‘लोकेशन की पहचान की गई है जहां इन किटों को रखा जाएगा। हालांकि महामारी के बढ़ते प्रकोप की वजह से दूसरे देशों से किट पहुंचने में समय लग रहा है। दक्षिण कोरिया से किट का एक खेप पहले ही आ चुका है।’ इस वक्त पीसीआर टेस्ट की लागत (लगभग 4,500 रुपये) की वजह से ही लोग इससे बच रहे हैं। लगभग 90 फीसदी पूछताछ जांच कराने के फैसले तक नहीं पहुंचती क्योंकि लोगों का यह मानना है कि आखिर सरकार इस लागत का वहन क्यों नहीं कर रही है। परीक्षण के पहले दिन ही थायरोकेयर में करीब 3,000 लोगों ने पूछताछ की जिनमें से 30 ने जांच के लिए सहमति जताई ।