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कोरोना दूसरे विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी चुनौती : मैर्केल

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जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने टीवी पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग देश के लिए दूसरे विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी चुनौती है। अंगेला मैर्केल 2005 से जर्मनी की चांसलर हैं। इन 15 सालों में मैर्केल ने हमेशा नए साल के मौके पर ही टीवी पर देश के नाम संदेश दिए हैं।

चांसलर मैर्केल के करियर में ऐसा पहली बार हुआ कि उन्होंने किसी आपातकाल के चलते देश को संबोधित किया। कोरोना की समस्या कितनी गहरी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। अपने संदेश में मैर्केल ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यह देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

चीन के बाद कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले इटली, ईरान, स्पेन और उसके बाद जर्मनी में ही देखे गए हैं। कोरोना के मद्देनजर यूरोप के तीन देश: इटली, स्पेन और फ्रांस लॉकडाउन की घोषणा कर चुके हैं। ऐसे में मैर्केल के संदेश से पहले तक अटकलें लगती रहीं कि जर्मनी में भी ऐसा ही होगा। लेकिन मैर्केल ने साफ किया कि आर्थिक रूप से जितना मुमकिन हो सके काम जारी रहेगा।

उन्होंने कहा, “हमें सार्वजनिक जीवन को जितना मुमकिन हो सके घटाना है। जाहिर है ऐसा हमें बहुत सोच समझ कर करना होगा क्योंकि हमें देश को भी चलाना है।। लेकिन हर वह चीज जिससे लोगों को नुकसान पहुंच सकता है, उसे अब कम करना होगा।”

जर्मनी में स्कूल, डे केयर और यूनिवर्सिटी पांच हफ्तों के लिए बंद कर दिए गए हैं। इसके अलावा सभी क्लब, बार और सिनेमाघर भी बंद हैं। कॉन्सर्ट और फुटबॉल मैच भी रद्द कर दिए गए हैं। लेकिन दिन में कुछ देर के लिए रेस्तरां खोलने की इजाजत है और दफ्तरों को भी बंद नहीं किया गया है।

हालांकि अधिकतर कंपनियां अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करने को कह रही हैं। मैर्केल के संदेश से यह समझ आता है कि अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए ऐसा फैसला लिया गया है।

जर्मनी में 12,000 संक्रमित
जर्मनी में अब तक कोरोना संक्रमण के 12,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। अकेले बुधवार को ही 2960 नए मामले दर्ज किए गए। अब तक कुल 28 लोगों की इससे जान जा चुकी है। मैर्केल ने कहा कि स्थिति बेहद गंभीर है और लोगों को भी इसे गंभीरता से लेना होगा। उन्होंने देश की जनता से अपील की कि सरकार द्वारा लगाई गई हर किस्म की रोक का संजीदगी से पालन करें। मैर्केल ने कहा, “सार्वजनिक जीवन पर इस वक्त जितनी रोक लगी हुई है, वैसा जर्मनी में आज तक कभी नहीं हुआ था। एक लोकतंत्र में इस तरह की रोक सिर्फ आपातकाल में ही लगाई जा सकती हैं और वह भी अस्थाई रूप से।”

सोशल डिस्टैन्सिंग पर जोर देते हुए उन्होंने लोगों से एक दूसरे से दूरी बनाए रखने की अपील की, “मैं जानती हूं कि इस वक्त जो मांग की जा रही है, वह बहुत कठिन है। मुश्किल घड़ी में एक दूसरे का साथ दिया जाता है लेकिन इस वक्त इसका उल्टा करना ही सही रहेगा। एक दूसरे से दूरी बना कर रखें। जानकार अगर कह रहे हैं कि दादा दादी अपने नाती पोतों से ना मिलें, तो उसकी एक वजह है।” 65 साल से ज्यादा उम्र वालों पर कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा है। ऐसे में चांसलर ने लोगों को सलाह दी कि अपने नाती पोतों से मिलने जाने की जगह स्काइप और ईमेल का सहारा लें या फिर चिट्ठी लिखने की पुरानी परंपरा की ओर लौटें।

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जर्मनी में लोग बड़ी मात्रा में सुपरमार्केट से सामान खरीद रहे हैं। किसी को डर है कि लॉकडाउन होने पर बाजार पूरी तरह बंद हो जाएंगे तो किसी को डर है कि बाजार में सामान ही खत्म हो जाएगा। लोग कई कई महीनों को खाने पीने का सामान घरों में जमा कर रहे हैं। मैर्केल ने लोगों से अफवाहों पर यकीन ना करने की अपील की। उन्होंने सुनिश्चित किया कि खाने पीने का सामान मिलना जारी रहेगा, “हर कोई इस बात पर यकीन कर सकता है कि खाने पीने का सामन हर समय उपलब्ध रहेगा। अगर शेल्फ खाली होंगे तो उन्हें भरा भी जाएगा।”

हमारे सामने ऐतिहासिक चुनौती
अपने संदेश में मैर्केल ने अस्पतालों और सुपरमार्केट में काम करने वालों को तहेदिल से शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा, “आप लोग इस वक्त का सबसे मुश्किल काम कर रहे हैं और अपने देशवासियों की सेवा कर रहे हैं।” साथ ही मैर्केल ने यकीन दिलाया कि “जर्मनी का मेडिकल सिस्टम दुनिया के बेहतरीन सिस्टम में से एक है” लेकिन उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर लोग सार्वजनिक जीवन पर रोक का पालन नहीं करेंगे तो मुमकिन है कि अचानक ही कोरोना पीड़ितों की संख्या इतनी बढ़ जाए कि अस्पतालों के लिए इससे निपटना मुश्किल हो जाए।

मैर्केल ने कोरोना से जंग को एक ऐतिहासिक चुनौती बताया, “यह एक ऐतिहासिक चुनौती है और हम मिल कर ही इसका सामना कर सकते हैं। मुझे यकीन है कि हम इससे उबर पाएंगे। लेकिन इस लड़ाई में हमारे कितने प्रियजन हमसे बिछड़ेंगे यह हम पर निर्भर करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल स्थिति हर दिन बदल रही है और आने वाले हफ्तों में लोगों को और भी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा, “आर्थिक रूप से अगले हफ्ते और भी मुश्किल होने वाले हैं। मैं आपको सुनिश्चित करती हूं कि इस मुश्किल घड़ी में सरकार आपकी मदद के लिए हर मुमकिन कदम उठा रही है।”

चांसलर मैर्केल ने कहा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से देश ने कभी इतनी बड़ी चुनौती का सामना नहीं किया है। जानकारों के अनुसार अगर वायरस को फैलने से रोका नहीं गया तो आने वाले महीनों में जर्मनी में करीब एक करोड़ लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।

 

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