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अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के कैबिनेट मंत्री को किया बर्खास्त

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सुप्रीम कोर्ट के पास कैबिनेट मंत्री को हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेषाधिकार हासिल है। अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट का ऐसा साधन है, जिसके माध्यम से जनता को प्रभावित करने वाली महत्त्वपूर्ण नीतियों में परिवर्तन कर सकता है। कोर्ट ने मणिपुर के कैबिनेट मंत्री को बर्खास्त कर दिया है।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर के कैबिनेट मंत्री टीएच श्याम कुमार को बर्खास्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दल-बदल कानून के तहत विधायक को अयोग्य ठहराते हुए उनके विधानसभा में जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। सर्वोच्च अदालत ने अनुच्छेद 142 के तहत हासिल विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मंत्री के खिलाफ यह कार्रवाई की है।

मणिपुर में क्या हुआ
मणिपुर में 2017 में 60 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुआ। कांग्रेस पार्टी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और बीजेपी 21 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर आई थी। कांग्रेस के नौ विधायक चुनाव के बाद पार्टी छोड़कर बीजेपी में चले गए। श्यामकुमार भी उनमें से एक थे, जिन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। इसके बाद अप्रैल 2017 में विधानसभा अध्यक्ष के पास कई अर्जियां दायर करते हुए दलबदल रोधी कानून के तहत श्यामकुमार को अयोग्य ठहराने की मांग की गई। मणिपुर के स्पीकर की तरफ से तय समय से ज्यादा बीत जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं आया, तब सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर फैसला सुनाया।

अनुच्छेद 142 का प्रयोग
न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की एक पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले के असाधारण तथ्यों को देखते हुए,‘हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने के लिए विवश हैं।’ सुप्रीम कोर्ट के पास सरकार के किसी कैबिनेट मंत्री को हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेषाधिकार हासिल है। सुप्रीम कोर्ट कैबिनेट मंत्री को बर्खास्त करने के लिए मिली हुई अपनी पूर्ण शक्ति का इस्तेमाल दुर्लभ ही करता है।

क्या है अनुच्छेद-142
अगर सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगता है कि किसी अन्य संस्था के जरिए कानून और व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए किसी तरह का आदेश देने में देरी हो रही है, तो कोर्ट खुद उस मामले में फैसला ले सकता है। आसान भाषा में समझें तो अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट का ऐसा साधन है, जिसके माध्यम से जनता को प्रभावित करने वाली महत्त्वपूर्ण नीतियों में परिवर्तन कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस अनुच्छेद का इस्तेमाल विशेष परिस्थितियों में ही करता है।

न्याय करने के लिये आवश्यक

संविधान में शामिल किए जाते समय अनुछेद 142 को इसलिए वरीयता दी गई थी क्योंकि सभी का यह मानना था कि इससे देश के वंचित वर्गों और पर्यावरण का संरक्षण करने में सहायता मिलेगी। जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश ही सर्वोपरि है। सुप्रीम कोर्ट ऐसे आदेश दे सकता है, जो इसके समक्ष लंबित पड़े किसी भी मामले में न्याय करने के लिये आवश्यक हो।

अयोध्या विवाद के फैसले में हुआ था प्रयोग
सुप्रीम कोर्ट ने इसी अनुच्छेद के तहत अयोध्या की विवादित जमीन रामलला विराजमान को सौंपने और मुसलमानों को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन अलग देने का फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अलग से 5 एकड़ जमीन अलॉट करने का आदेश दिया था।

भोपाल गैस त्रासदी मामला में भी अनुच्छेद 142 का प्रयोग
सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी मामले में भी अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया था। कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड मामले को भी अनुच्छेद 142 से संबंधित बताया था। इस मामले में कोर्ट ने यह महसूस किया कि गैस के रिसाव से पीड़ित हजारों लोगों के लिये मौजूदा कानून से अलग निर्णय देना होगा।

 

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