दिल्ली हिंसा: मरने वालों की संख्या 32 तक पहुंची
1 min read- दिल्ली के दंगों में मरने वालों की संख्या तीन दहाई को पार कर गई है। दंगा प्रभावित इलाकों में हिंसा में कमी आई है लेकिन बुधवार की देर रात कुछ इलाकों में हिंसा हुई।
नई दिल्ली| पूर्वी और उत्तरपूर्वी दिल्ली में पिछले चार दिनों से हो रहे दंगों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या अब तक 30 पार कर चुकी है। अलग अलग सूत्र 32 से 34 तक का आंकड़ा दे रहे हैं। घायलों की संख्या 200 से भी ऊपर बताई जा रही है। आशंका है कि मृतकों की संख्या और भी बढ़ सकती है। दंगा प्रभावित इलाकों में पुलिस की कार्रवाई के बाद हिंसा में कमी तो आई है, लेकिन बुधवार 26 फरवरी की देर रात भजनपुरा, मौजपुर और करावल नगर जैसे इलाकों से हिंसा की कुछ वारदातों की खबर आई।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कल दिन में दूसरी बार दंगा-ग्रस्त इलाकों का दौरा किया था और स्थानीय निवासियों से मिल कर उन्हें आश्वासन दिलाया था कि अब कोई हिंसा नहीं होगी। लेकिन इसके बावजूद कुछ इलाकों में हिंसा और आगजनी हुई। डोभाल के दौरे के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चार दिनों में पहली बार शान्ति बनाये रखने के लिए लोगों से ट्विटर पर अपील की।
दंगा-पीड़ितों को कुछ राहत दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस मुरलीधर के वक्तव्यों से भी मिली होगी जिन्होंने दंगों की एक स्वतंत्र जांच की एक अपील पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।
एफआईआर तो अभी तक दर्ज नहीं हुई हैं, लेकिन 26 फरवरी की शाम जस्टिस मुरलीधर का तबादला अधिसूचित कर दिया गया। हालांकि उनके तबादले की घोषणा पिछले सप्ताह ही कर दी गई थी, लेकिन इस समय इसकी अधिसूचना जारी होने से इस पर विवाद उत्पन्न हो गया।
इसी बीच दंगों के शायद सबसे संगीन प्रकरणों में से एक सामने आया। दंगा प्रभावित चांद बाग में रहने वाले इंटेलिजेंस ब्यूरो के 26-वर्षीय अधिकारी अंकित शर्मा की लाश एक नाले में मिली। बाद में पता चला कि वो उनके इलाके में घूम रही एक हिंसक भीड़ का शिकार हो गए थे।
उनके माता पिता ने एक स्थानीय राजनेता पर इस भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया है। कई स्थानीय निवासियों और पत्रकारों ने आम आदमी पार्टी के स्थानीय नगर निगम पार्षद ताहिर हुसैन पर दंगों में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप लगाया है।