आखिर बाबरी मस्जिद के मलबे का होगा क्या?
1 min readदशकों पुराने अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का पटाक्षेप इस साल भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कर दिया| न्यायालय ने विवादित स्थल को राम जन्म भूमि स्वीकार किया एवं मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही अन्यत्र पांच एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का आदेश दिया| अब जब अयोध्या में राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है ऐसे में इसकी प्रक्रिया भी आरम्भ होगी| मंदिर निर्माण हेतु एक ट्रस्ट का गठन किया जाना है| अयोध्या में वर्षो से राम मंदिर निर्माण हेतु विश्व हिन्दू परिषद् की कार्यशाला मौजूद है जहां पर पत्थर को तराशने का काम चल रहा है| एक प्रस्तावित राम मंदिर का मॉडल भी कारसेवक पुरम में मौजूद है| बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने 25 दिसंबर को बैठक कर बाबरी मस्जिद के मलबे को उचित सम्मान से प्राप्त करने को लेकर चर्चा की|
लेकिन इस सब के बीच एक प्रश्न अनुत्तरित रह जाता है कि उस स्थल पर वर्तमान में बाबरी मस्जिद के ढांचे का जो मलबा मौजूद है उसका क्या होगा| रामलला एक अस्थायी मंदिर में विराजमान हैं और दर्शनार्थी आते रहते हैं| 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहा दिया गया था| उसके बाद वहां पर मलबे का एक ढेर बन गया| इस मलबे में बाबरी मस्जिद के ढांचे के अलावा नींव भी शामिल है| केंद्र सरकार ने विवादित स्थल और आसपास के लगभग 67 एकड़ को अधिगृहित कर लिया था| अब जब वहां राम मंदिर का निर्माण होना है तो उस मलबे का क्या होगा? उस मलबे पर किसका अधिकार होगा? कैसे वो मलबा वहां से हटेगा? इस प्रकार के कई प्रश्न अभी मौजूद हैं| मुस्लिम पक्ष अब बाबरी मस्जिद के मलबे पर अपना अधिकार जताने की सोच रहा है|
मुस्लिम पक्ष
इस मामले पर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की 25 दिसंबर को बैठक हुई है| कमेटी के सदस्य एवं अधिवक्ता ज़फ़रयाब जीलानी का मानना है कि बाबरी मस्जिद के मलबे को इधर उधर नहीं फेंक सकते. जीलानी बताते हैं, “हमने इस मामले में बैठक की और उलेमा से मशविरा किया. मस्जिद की कोई चीज इधर उधर नहीं डाल सकते| इससे मुसलमानों को तकलीफ पहुंचेंगी| अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर कोई निर्देश नहीं है तो हम लोग इसके लिए प्रार्थना पत्र देंगे| लेकिन बाबरी मस्जिद के मलबे को उचित सम्मान से प्राप्त करना होगा|
इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य एसक्यूआर इलियास का मानना है कि बाबरी मस्जिद के मलबे पर मुस्लिम का अधिकार है| इलियास बताते हैं, “जब सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया कि 1992 में बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया तो उस मस्जिद के मलबे पर हमारा स्वामित्व बनता है| वो हमको मिलना चाहिए. हम उसको प्राप्त करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करेंगे|” हालांकि बाबरी मस्जिद के मलबे का क्या करेंगे इस बारे में इलियास अभी कुछ नहीं कहते|
वहीं दूसरी ओर इस मुकदमे के एक पक्षकार उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड बाबरी मस्जिद के मलबे पर कोई राय नहीं रखता| बोर्ड के अध्यक्ष ज़ुफर फारूकी के अनुसार अभी उनकी तरफ से बाबरी मस्जिद के मलबे पर अधिकार जताने की कोई बात नहीं चल रही है. वे बताते हैं, “इस मुद्दे पर बोर्ड की तरफ से कोई बात नहीं है|” सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ भूमि मस्जिद निर्माण के लिए देनी की बात कही गयी है| फारूकी के अनुसार अभी पांच एकड़ भूमि देने के बारे में कोई पेशकश नहीं हुई है| इस मुकदमे में मुस्लिम पक्ष की तरफ से पक्षकार खलीक अहमद खान का मानना है कि बाबरी मस्जिद के मलबे पर मुसलमानों का अधिकार है| खलीक बताते हैं, “वो मलबा नहीं बल्कि अवशेष कहिए. जो भी बचा है उस पर हमारा अधिकार है और हम न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत उसको प्राप्त करेंगे| उस अवशेष का क्या करेंगे ये बाद की बात है|”