Thu. May 2nd, 2024

नए साल के पहले भारत और ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी को मिली मजबूती

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मेलबर्न| भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ‘‘स्वाभाविक साझेदारी’’ में इस साल विशेषकर रक्षा क्षेत्र समेत कई मोर्चो पर सतत बढ़ोतरी देखने को मिली लेकिन भारत की कथित प्रतिबंधात्मक व्यापार नीतियों और क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौते को लेकर उसके रुख के कारण मतभेद बरकरार हैं।

मुख्य रूप से हिंद प्रशांत में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी को लेकर दोनों देशों की साझा चिंताओं के कारण द्विपक्षीय रक्षा संबंध मजबूत हुए हैं। इस साल दोनों देशों के व्यापारिक संबंध भी मजबूत हुए हैं और मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के बिना भी दोनों ओर का व्यापार इस समय 29 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर से अधिक है।

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए बहुत कदम उठाए हैं। भारत ऑस्ट्रेलिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को एक बड़े बाजार के रूप में चिह्नित किया है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के अगले साल जनवरी में भारत की आधिकारिक यात्रा पर आने से ये संबंध और मजबूत होने की आस है।

मॉरिसन ने भी भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को ‘‘स्वाभाविक साझेदारी’’ करार दिया था और भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के चतुष्पक्षीय (क्वाड) गठबंधन की सराहना की थी। ऑस्ट्रेलिया में विपक्षी दल लेबर पार्टी ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया है। ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच अप्रैल में हुए एयूएसआईएनडीईएक्स नौसैन्य अभ्यास के साथ हिंद प्रशांत में साझा समुद्री सुरक्षा हितों पर सहयोग नए स्तर पर पहुंच गया है।

दोनों देशों के संबंधों के समक्ष मौजूद कुछ चुनौतियों में भारत की व्यापारिक प्रतिबंधात्मक कृषि नीतियां और क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) को लेकर उसका हालिया रुख शामिल है। ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री साइमन बिर्मिंघम ने हाल में कहा कि उनका देश भारत की चीनी सब्सिडी को लेकर बहुत चिंतित है जो डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत उसकी सीमा से कहीं अधिक है। बिर्मिंघम ने कहा, ‘‘उन्होंने चीनी की वैश्विक कीमत में गिरावट में योगदान दिया है जिससे हमारे ऑस्ट्रेलियाई उत्पादकों और अन्य उत्पादकों को नुकसान हो रहा है।’’ उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया आरईसीपी पर भारत के फैसले का सम्मान करता है लेकिन उसे उम्मीद है कि वह भविष्य में इसमें शामिल होगा।

पर्यटन क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत आठवां सबसे बड़ा बाजार है। इसी साल मध्य क्वींसलैंड में विवादास्पद अडाणी कोयला खान के लिए दशक पुरानी कानूनी लड़ाई भी समाप्त हो गई, जब अरब डॉलर की इस परियोजना को जून में पर्यावरणीय मंजूरी मिली। ऑस्ट्रेलिया ने द्विपक्षीय निवेश प्रोत्साहित करने के लिए मार्च में कोलकाता में वाणिज्य दूतावास खोलकर अपनी राजनयिक मौजूदगी बढ़ाई। ऑस्ट्रेड और इन्वेस्ट इंडिया ने एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए ताकि ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को भारतीय बाजार तक पहुंचने में मदद मिल सके। इसके अलावा भारत में ‘ऑस्ट्रेलिया स्टेट एजुकेशन फोरम’ और ‘ऑस्ट्रेलिया-भारत खाद्य साझेदारी’ की स्थापना की गई।

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