102 साल के डोरेस्वामी को भाजपा नेता ने बताया पाकिस्तानी एजेंट
1 min readकर्नाटक के भाजपा नेता बसवराज यतनाल ने स्वतंत्रता सेनानी एचएस डोरेस्वामी को एक पाकिस्तानी एजेंट और ‘फर्जी स्वतंत्रता सेनानी’ करार दिया है। सक्रिय राजनीति से दूर 102 साल के डोरेस्वामी महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन और विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से जुड़े रहे हैं। भारत की आजादी पूर्व वह अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आंदोलनों में सक्रीय भूमिकाओं के चलते कई बार जेल भी गए हैं।
बेंगलुरु। भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में बीजेपी नेता बसवराज यतनाल ने 102 साल के स्वतंत्रता सेनानी एचएस डोरेस्वामी पर आरोप लगाया है कि वह पाकिस्तानी एजेंट हैं। इतना ही नहीं, यतनाल ने उन्हें ‘फर्जी स्वतंत्रता सेनानी’ भी कहा। इसके बाद मंगलवार को विधानसभा में काफी हंगामा हुआ और सदन स्थगित कर दिया गया।
एचएस डोरेस्वामी से जुड़ी खास बातें
डोरेस्वामी का जन्म मैसूर के पास स्थित हारोहल्ली गांव में 10 अप्रैल 1918 को हुआ था। सामाजिक मुद्दों पर बेबाक राय रखने वाले दोरेस्वामी का किसी राजनीतिक दल से जुड़ाव नहीं रहा है। भूमिहीन किसानों के लिए ज़मीन की मांग के लिए धरना हो या नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध, डोरेस्वामी अपनी बात रखने से कभी नहीं चूकते। हाल में डोरेस्वामी बंगलुरु के टाउन हॉल के बाहर हो रहे प्रदर्शन में भी शामिल हुए थे।
गांधीजी की ‘माय अर्ली लाइफ’ से प्रेरित थे
मात्रा 5 साल की आयु में डोरेस्वामी के ऊपर से उनके पिता का उठ गया था। डोरेस्वामी का लालन पालन उनके दादा-दादी ने किया। 9वीं क्लास में पढ़ने वाले डोरेस्वामी को महात्मा गांधी की किताब ‘माय अर्ली लाइफ’ पढ़ने का मौका मिला और वो उस किताब से इतने प्रभावित हुए कि स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। सन् 1942 में पढ़ाई पूरी करने के बाद डोरेस्वामी एक हाईस्कूल में गणित और फिजिक्स पढ़ाने लगे। लेकिन अगस्त आते-आते वह महात्मा गांधी के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शामिल हो गए। दिसंबर में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद वह 14 महीनों तक जेल में रहे और 1944 में वहां से बाहर निकले।
ललिता अम्मा के प्यार में हुए कैद
डोरेस्वामी कुछ समय के लिए कांग्रेस पार्टी में भी रहे। आज़ादी के बाद उनके भाई बेंगलुरु के मेयर बन गए, अन्य साथी भी कई अहम पदों पर आ गए लेकिन उन्होंने खुद को राजनीति से दूर रखने का फैसला किया। 1950 में वह विनोबा भावे के साथ भूदान आंदोलन से भी जुड़ गए। इसी साल एक दोस्त के यहां उनकी मुलाकात ताश खेलते वक्त ललिता अम्मा से हुई। दोनों को पहली नजर में ही प्यार हुआ और उन्होंने शादी करने का फैसला ले लिया। उस समय ललिता की उम्र 18 साल और डोरेस्वामी की उम्र 31 साल थी।
आपातकाल के दौरान इंदिरा ने डाला जेल में
1975 में आपातकाल के दौरान उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जमकर विरोध किया था। इंदिरा को भेजे गए पत्र में उन्होंने लिखा था, ‘आप तानाशाह की तरह व्यवहार करना बंद करें, नहीं तो मैं घर घर जाकर कहूंगा कि आप तानाशाह हैं।’ इसके बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया और उन्होंने चार महीने जेल में बिताए। इसलिए आज भले ही बीजेपी नेता डोरेस्वामी को कांग्रेस का नजदीकी बताते हों पर उनके विरोधी स्वर किसी दलगत राजनीति से प्रेरित नहीं दिखते।