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उतावलेपन की लकीर : कपिल मिश्रा

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आम आदमी पार्टी से सक्रीय राजनीति की शुरुआत करने वाले कपिल मिश्रा एक चर्चित चेहरा है। दिल्ली हिंसा के शुरुआत में कपिल मिश्रा का एक वीडियो वायरल हुआ जिसने दंगो से निपटने के दौरान मोदी सरकार और गृहमंत्री अमित शाह के निर्णयों पर सवाल उठा दिए। विरोधियों से लेकर दंगा पीड़तों के द्वारा कपिल मिश्रा की गिरफ़्तारी और उन पर कार्यवाई की मांग करने से दिल्ली की राजनीति उबलने लगी। देखते ही देखते कपिल मिश्रा टीवी चैनलों, सोशल मीडिया के निशाने पर आ गए। इस उतावलेपन से मीडिया का अटेंशन भी कपिल मिश्रा की खिलाफत में हो गया। वायरल वीडियो में कपिल मिश्रा के बयान ने मोदी सरकार से लेकर भाजपा को असहज कर दिया है।

भाजपा और उसकी सरकार की असहजता तब और बढ़ गई जब दंगा भड़काने के आरोप में आप पार्षद ताहिर को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। मोदी- शाह को इन हालातो से बाहर निकालने के लिए कपिल मिश्रा ने दिल्ली के जंतर मंतर में शान्ति मार्च का रास्ता अपनाया। कपिल मिश्रा अब अपने हाई कमान के छिन्न भिन्न हुए विश्वास और जनता में बिगड़ी अपनी छवि को दुरुस्त करने के प्रयास में सक्रीय है। राजनीति में आने से पूर्व कपिल मिश्रा दिल्ली में सामाजिक कार्य के एक विद्यालय के जरिये सामाजिक कार्य करते थे। इसके अलावा कपिल मिश्रा राजनीतिक और व्यावसायिक नीतिगत मुद्दों पर कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ काम कर चुके हैं।

कपिल मिश्रा आप पार्टी से दिल्ली के छठे विधानसभा चुनाव में 44,431 के अंतर से चुनाव में जीत दर्ज कर संस्कृत में अपनी शपथ ग्रहण करने के बाद सुर्ख़ियों में आये थे। इसके बाद कपिल मिश्रा ने अपनी ही पार्टी के प्रमुख नेता, अरविंद केजरीवाल पर 20 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी। कपिल मिश्रा के इस विद्रोह के कारण इन्हें आम आदमी पार्टी से निकाल दिया गया। तब से लेकर कपिल मिश्रा आप और अरविन्द केजरीवाल पर हमलावर बने हुए है।

वायरल वीडियो में क्या
एक अन्य वीडियो में मिश्रा पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में कह रहे हैं, “आप सबके बिहाफ पर ये बात कह रहा हूं कि ट्रम्प के जाने तक तो हम जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे। ठीक है? ट्रम्प के जाने तक आप चांदबाग और जाफराबाद खाली करवा दीजिए, ऐसी आपसे विनती है। उसके बाद हमें लौटकर आना पड़ेगा।”

शांति मार्च में शामिल हुए कपिल मिश्रा
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ शनिवार को जंतर-मंतर पर शांति मार्च का आयोजन किया गया। इस हिंसा में 42 लोगों की जान चली गई थी। सैकड़ों की संख्या में जुटे लोगों के हाथ में तिरंगा था और हवा में ‘जय श्री राम’, ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंज रहे थे। एनजीओ ‘डेल्ही पीस फोरम’ की ओर से आयोजित इस मार्च में भाजपा नेता कपिल मिश्रा भी मौजूद थे।

विवादों से कपिल मिश्रा का पुराना नाता
कपिल मिश्रा पहली बार भड़काऊ बयानों को लेकर सुर्खियों में नहीं आए हैं बल्कि विवादों से उनका पुराना नाता रहा है। एक साल पहले पुलवामा हमले के बाद फरवरी 2019 में कपिल मिश्रा ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट करते भड़काऊ कविता लिखी थी, जिसे लेकर दूरसंचार विभाग के अधिकारी आशीष जोशी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को लिखित शिकायत की थी। दिल्ली पुलिस ने तो इस मामले में कपिल मिश्रा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया बल्कि केंद्र सरकार ने शिकायत करने वाले अधिकारी आशीष जोशी को ही सस्पेंड कर दिया गया है। आशीष जोशी पिछले एक साल से सस्पेंड ही चल रहे हैं।

डीयू छात्र विंग ने कपिल मिश्रा से बनाई दूरी
कपिल मिश्रा दिल्लीी विश्वनविद्यालय के छात्र रह चुके हैं । हिंसा के दौरान कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयान के बाद अब दिल्ली विश्वनविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क (DSSW) के छात्रों ने उनसे दूरी बना ली है। कपिल मिश्रा भी इसी विभाग से पढ़े हैं। बयान में कहा गया है, ‘हमें कपिल मिश्रा पर शर्म आती है। उनके उत्तेजक कृत्यों और सांप्रदायिक बयानों के कारण हमारे विभाग और सामाजिक कार्य के पेशे की छवि धूमिल हुई है। DSSW बिरादरी कपिल मिश्रा के जरिए फैलाई गई नफरत, हिंसा और सांप्रदायिकता के खिलाफ है, जिसने हमारे पेशे को खराब कर दिया है।’ बयान में कहा गया है कि हम दिल्ली पुलिस से कपिल मिश्रा को गिरफ्तार करने और ऐसे सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग करते हैं।

कभी मोदी के खिलाफ आग उगलते थे कपिल मिश्रा
ये वही कपिल मिश्रा हैं जिन्हें केजरीवाल ने केवल 34 बरस की उम्र में भाषा और संस्कृति का काबिना मंत्री बना दिया था। दिल्ली जल बोर्ड सौंप दिया था। ये वही कपिल मिश्रा हैं जिन्होंने दिल्ली विधानसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक से बढ़कर एक आरोप लगाया करते थे। नोटबंदी पर भी कपिल मिश्रा ने सवाल खड़े करते हुए पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने विधानसभा में कहा था कि पीएम मोदी कहते हैं कि दो हजार का नोट एटीएम में फिट नहीं होता, नोटा का साइज में प्रॉब्लम है, लेकिन हम कहते हैं कि नोट के साइज में प्रॉब्लम नहीं है बल्कि मोदी के दिमाग के साइज में प्रॉब्लम है।
कपिल और ताहिर कभी दोस्त थे
कपिल मिश्रा और ताहिर हुसैन ने एक-दूसरे पर दंगों में शामिल होने के आरोप लगाए हैं। आज एक-दूसरे पर आरोप लगाने वाले कपिल मिश्रा और हुसैन कभी अच्छे दोस्त थे। एक वक्त में कपिल मिश्रा का दफ्तर हुसैन के मकान में था। चांदबाग के लोग यह भी बताते हैं कि जब कपिल मिश्रा ने आप से विधायक का चुनाव लड़ा था, तो हुसैन ने उनकी मदद की थी। लेकिन, राजनीतिक दल बदलने के साथ दोस्ती भी दुश्मनी में बदल गई। जहां कपिल मिश्रा पर लोगों को उकसाने का आरोप है, वहीं हुसैन पर दंगों में शामिल होने के आरोप हैं।

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