Wed. Apr 24th, 2024

मोदी का सुपर मैन: अजित डोभाल

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भारत की सुरक्षा के लिए देश के अंदर और बाहर खतरनाक कारनामो को अंजाम देने वाले अजित डोभाल देश के ऐसे एकमात्र नागरिक हैं जिन्हें शांतिकाल में दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। जब सवाल देश की सुरक्षा से जुड़ा हो तो दशकों से काबिल और विश्वसनीय नाम अजित दाभोल को दिल्ली हिंसा को नियंत्रित करने मैदान में उतारा गया। उनके दौरे के बाद दिल्ली में शांति बहाली के प्रयास सफल होते देखे जा सकते है।

खुफिया एजेंसी के प्रमुख रह चुके पूर्व आईपीएस अजित डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए। कड़ी मेहनत के बल पर वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए।

बालकोर्ट स्ट्राइक हो या पूर्वोत्तर में उग्रवाद की समस्या डोभाल अपनी सूझ बूझ से कार्यो को अंजाम तक पहुँचाने में सटीक मार्गदर्शक रहे है। एक ऐसा भारतीय जो खुलेआम पाकिस्तान को मुंबई के बदले बलूचिस्तान छीन लेने की चेतावनी देने से गुरेज़ नहीं करता, एक ऐसा जासूस जो पाकिस्तान के लाहौर में 7 साल मुसलमान बनकर अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा हो। ऐसे में मोदी सरकार के लिए वे किसी सुपर मैन से काम नहीं है।

डोभाल से कांपता है पकिस्तान
देश के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से पाकिस्तान का सैन्य प्रतिष्ठान सबसे ज्यादा नफरत करता है। पाकिस्तानी के प्रिंट और इलेक्ट्रॉ‍निक व सोशल मीडिया तथा विशेष रूप से ट्विटर पर सक्रिय लोगों के नाम से एंटी-डोभाल समाचारों से नियमित तौर पर भरे पड़े होते हैं। पाकिस्तान में कहीं भी कुछ भी बुरा हुआ कि इसका दोष डोभाल पर मढ़ दिया जाता है। आप पाकिस्तानी सोशल मीडिया के नेटवर्क पर गौर करें और जानें कि वहां ट्विटर पर क्या ट्रेंड कर रहा है तो आपको अक्सर ही डोभाल को कोसने वाली ‘जानकारी’ मिल जाएगी। इन लोगों ने डोभाल को ऐसा बना दिया है मानो वे किसी महामानव जैसी शक्तियां और ताकत रखते हों।

जान हथेली पर रखने वाले डोभाल के कुछ रोमांचक किस्से

  • भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका। इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी।
  •  जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में, इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था।
  • कश्मीर में भी उन्होंने उल्लेखनीय काम किया था और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी। उन्होंने उग्रवादियों को ही शांतिरक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। उन्होंने एक प्रमुख भारत-विरोधी उग्रवादी कूका पारे को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
  • अस्सी के दशक में वे उत्तर पूर्व में भी सक्रिय रहे। उस समय ललडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने हिंसा और अशांति फैला रखी थी, लेकिन तब डोवाल ने ललडेंगा के सात में छह कमांडरों का विश्वास जीत लिया था और इसका नतीजा यह हुआ था कि ललडेंगा को मजबूरी में भारत सरकार के साथ शांतिविराम का विकल्प अपना पड़ा था।
  • डोभाल ने वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी।
  • डाभोल ने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और भारतीय सेना ने सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया। भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए हैं।
  • डोभाल ने पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक जिम्मेदारियां भी संभालीं और फिर करीब एक दशक तक खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा का लीड किया।

 

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