जिन्ना.नेहरू पर फिर से घमासान
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नागरिकता संशोधन बिल के जरिए एक बार फिर से हिंदुस्तान.पाकिस्तान बंटवारे की खौफनाक यादें ताजा हो रही हैं | यकीनन वो यादें बड़ी ही दर्दनाक थीं | लेकिन एक बार फिर से इस बात पर बहस छिड़ गई है कि आखिर बंटवारे का जिम्मेदार कौन थाद्यजवाहर लाल नेहरू या मोहम्मद अली जिन्ना | हालांकि इस तर्क पर हमेशा से बहस होती रही है कांग्रेस बंटवारे के लिए हिंदू महासभा पर ठीकरा फोड़ती आई है और बीजेपी समेत तमाम हिंदूवादी संगठन और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग नेहरू को ही बंटवारे का गुनहगार बताते आए हैं |
मौजूदा वक्त में हिंदुस्तान की संसद में नागरिकता संशोधन बिल पर लंबी बहस का सिलसिला जारी है |हालांकि लोकसभा में बिल पास हो गया है | राज्यसभा में इस बिल की अग्नि परीक्षा हो रही है मोदी सरकार की तरफ से कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं | हालांकि आरोपों से इतर कांग्रेस भी पीछे नहीं है कांग्रेस भी अपनी तरफ से बराबर कड़ी टक्कर देने की भरसक कोशिश कर रही हैए लेकिन इस बहस के देखकर ऐसा लगने लगा है कि मानो जिन्ना ने कुछ किया ही नहीं था और अब जिन्ना बाइज्जत बरी हो सकते हैं | यानि जिन्ना के दामन पर लगे बंटवारे के दाग साफ हो सकते हैं |
संसद में जारी बहस में अब तक जिन्ना पर किसी भी प्रकार के आरोप नहीं लगे हैं | सत्तारूढ़ बीजेपी और उसके सहयोगी दल एक बार फिर से नेहरू के बंटवारे की नीतियों पर हमले बोल रहे हैं |और विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करते दिखाई दे रही है |जिस जिन्ना ने पाकिस्तान बनाने में अहम भूमिका निभाई उसका जिक्र तो संसद में हो ही नहीं रहा है | कुछ वक्त पहले तक जिन्ना को बंटवारे का असली खलनायक समझा जाता थाए लेकिन नागरिकता संशोधन बिल पर हो रही बहस के बाद ये लग रहा है कि असली खलनायक जिन्ना नहींए बल्कि जवाहर लाल नेहरू थे |
नागरिकता संशोधन बिल पर कांग्रेस की ओर से भारतीय जनता पार्टी पर हमला करते हुए ये तर्क दिया जा रहा है कि ये बिल धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाला है | दरअसलए इस बिल में हिंदू बौद्ध ईसाई सिख जैन और पारसी प्रवासियों को नागरिकता देने की बात कही है | लेकिन मुस्लिमों का कहीं नाम नहीं लिखा है यहां पर ये बताना बेहद जरूरी है कि नागरिकता संशोधन बिल में सिर्फ बांग्लादेश पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रवासियों को नागरिकता देने की बात गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बार.बार दोहराई हैऐसे में सरकार मान रही है कि वहां मुस्लिमों पर धर्म के आधार पर प्रताड़ना नहीं हो सकती है | हालांकि आरोप लगाया जा रहा है कि धर्म के आधार पर मोदी सरकार नागरिकता देने की बात कर रही है जो भेदभाव है | ऐसे में अमित शाह ने कांग्रेस समेत नेहरू को भी लपेटे में ले लिया है और कहा है कि देश का बंटवारा नेहरू ने करवाया तब भी धर्म के आधार पर बंटवारा किया गया था | ये पहला मौका है जब लोकसभा की बहस में खड़े होकर बीजेपी की तरफ से बंटवारे के लिए सीधे कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया गया है |कांग्रेस पर सत्ता पक्ष की तरफ से हुए इस सीधे हमले की गूंज लंबे समय तक सियासी गलियारे में रहेगी |
गृहमंत्री अमित शाह का दावा है कि मोदी सरकार नेहरू की ऐतिहासिक भूल सुधार रहे हैं धर्म के नाम पर उन्होंने देश का बंटवारा किया थाद्य शाह ने तो ये भी कहा कि जम्मू.कश्मीर की समस्याओं के लिए भी जवाहर लाल नेहरू ही जिम्मेदार हैं | सीजफायर वापस लाने के लिए भी नेहरू ही जिम्मेदार हैं नेहरू की गलती से ही आज कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है बहस भले ही नागरिकता संशोधन बिल की हैए लेकिन ऐसा लगने लगा है कि मोदी सरकार ने विपक्ष को जड़ से उखाड़ फेंकने की को आतुर है | इसी वजह से बंटवारे से लेकर कश्मीर समस्या तक के लिए ही उस वक्त की कांग्रेस और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार बताया जा रहा है |
एक ओर अमित शाह देश को बांटने के लिए नेहरू को दोषी बता रहे हैंए वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने बंटवारे का ठीकरा हिंदू महासभा के सिर पर फोड़ दिया है | लोकसभा में कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी और राज्यसभा में आनंद शर्मा ने धर्म के आधार पर बंटवारे के लिए हिंदू महासभा को दोषी ठहराया | 1937 में हिंदू महासभा के नेता वीर सावरकर ने अहमदाबाद में साफ कहा था कि भारत एक समरूप लोगों का देश नहीं है | बल्कि इसके उलट इसमें दो राष्ट्र हैंए हिंदू और मुसलमान | यानी भाजपा बंटवारे के लिए नेहरू को जिम्मेदार बता रही है और ये साबित करना चाह रही है कि कांग्रेस की वजह से ही धर्म के आधार पर देश का बंटवारा हुआ तो वह ये सवाल ना उठाएं कि धर्म के आधार पर नागरिकता संशोधन बिल कैसे हो सकता है |वहीं कांग्रेस बंटवारे की वजह हिंदू महासभा को बताकर ये साबित करना चाहती है कि भाजपा की हिंदूवादी नीति के चलते देश का विभाजन हुआ | वैसे तो बंटवारे के लिए जिन्ना भी जिम्मेदार थे | लेकिन उनका जिक्र नागरिकता संशोधन बिल की बहस में इतना कम हो रहा है कि मानो उन्हें कोई दोषी मान ही न रहा है |यूं लग रहा है कि जिन्नी की मांग जायज थी गलती या तो नेहरू की थी या हिंदू महासभा की|